बीबीसी की भ्रामक और खतरनाक रिपोर्टिंग से बच के रहे भारतीय!!
(नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता ने विदेशी मीडिया को अचंभित कर दिया है!! इस कदर कि वे दुराग्रही हो चले है!! )
बीबीसी और वौइस् ऑफ़ अमेरिका भारत के समाचार प्रेमी लोगो के बीच अच्छी घुसपैठ रखते है. इनको पारदर्शिता के लिहाज़ से बहुत उच्च कोटि की रिपोर्टिंग का दर्जा हासिल है. लेकिन अगर इनकी रिपोर्टिंग को ध्यान से देखा जाए तो आप पाएंगे ये सबसे ज्यादा पक्षपाती और द्वेषपूर्ण खबरे प्रकाशित करते है. इनकी मंशा सिर्फ खबर प्रकाशित करने भर की ही नहीं रहती वरन इन खबरों के जरिये एक ख़ास प्रकार का माहौल बनाने की रहती है जिससे पाठको के बीच भ्रम और घृणा की उत्पत्ति हो. ये सारे समाचार के श्रोत अभी भी पुरानी ब्रिटिश नीति का अनुसरण करते है कि फूट डालो और राज करो!!
इसका अनुभव मुझे एक बार फिर एंड्रू व्हाइटहेड की इस खबर “Why Indians abroad succumb to ‘Modimania’ पढ़ने के पश्चात हुआ. एंड्रू व्हाइटहेड बीबीसी के भारत में पूर्व संवाददाता रहे है. खबर की शीर्षक देखिये ये बताता कि विदेशो में रहने वाले भारतीयों का मोदी प्रेम एक मेनिया है ( पागलपन है )!! इसका अर्थ ये हुआ कि जो भारतीय अपने नेता के प्रति वे प्रेम दर्शा रहे है वो प्रेम का विकृत रूप है, शुद्ध प्रेम नहीं है!! ये खबर वेम्ब्ले, ग्रेट ब्रिटेन, में नरेंद्र मोदी आगमन से ठीक कुछ समय पहले प्रकाशित हुई थी. इस आगमन को लेकर जो वहा के भारतीयों में उत्साह था और जिस संख्या में भारतीय वहा इकट्ठा हुए, लगभग साठ हज़ार लोग, उसने ब्रिटिश नेताओ और वहा के मीडिया में एक हलचल मचा दी. हाल के वर्षो में इसके पहले किसी विदेशी नेता के आगमन पर इतनी संख्या में लोग उपस्थित नहीं हुए थे कि आयोजको को भी टिकट के लाले पड़ जाए!!
एंड्रू व्हाइटहेड का लेख उन कारणों की पड़ताल कर रहा था जिसकी वजह से विदेशो में इतनी संख्या में भारतीय लोग नरेन्द्र मोदी की सभा में उपस्थित होते है. जरा देखिये तो कितनी गन्दी नीयत से इसने कारणों की खोज खबर ली है. ये बड़े बड़े संस्थानों में ऊँची फीस देकर इस तरह के संवाददाता या प्रोफेसर्स इस तरह की ओछी मानसिकता का परिचय देते है. इस बौद्धिक धूर्तता के क्या मायने निकाले जाए? एंड्रू व्हाइटहेड का यूनिवर्सिटी ऑफ़ नाटिंघम और क्वीन मैरी, यूनिवर्सिटी ऑफ़ लंदन से भी सम्बन्ध है पर इन्होने विश्लेषण कितने निम्न तरीके से किया है. वहा बसे सी बी पटेल जो कि नरेंद्र मोदी के समर्थको में से है के हवाले से पहले तो “मेनिया” शब्द का उल्लेख किया और फिर मोदी प्रेम का कारणों का उल्लेख करते हुए ये बताया कि “भारतीय पैसे की पूजा करते है और वे अमीर होना चाहते है” और मोदी कि आर्थिक नीति इसमें सहूलियत प्रदान करती है. ये एप्रोच विदेश में बसे भारतीयों को बहुत रास आ रही है!! दोनों ही बाते दोषपूर्ण है और हास्यास्पद भी है. पहले तो भारतीय पैसे की पूजा नहीं करते और दूसरे किसी भी राष्ट्र का नागरिक अमीर होना चाहता है तो भारत का नागरिक अगर अमीर बनना चाहता है तो तकलीफ या आश्चर्य किस बात का? पैसे की पूजा वो राष्ट्र करते है जिन्होंने सोने की चिड़िया के पर नोचे!!
( ये भीड़ भारतीयों की है. किसी खास से जुडी नहीं!! )
सबसे खतरनाक कार्ड एंड्रू साहब तब खेलते है जब उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि गुजराती जो केवल पांच प्रतिशत ही है भारत में वे पंजाबियों के साथ मिलकर सबसे बड़ी संख्या संख्या में ब्रिटेन में बसे है. ये फरमाते है कि ये “गुजराती प्राइड” का जलवा है!! “Gujarati pride is also at play.” मतलब ये भारतीय लोगो का सामूहिक प्रेम नहीं है! ये प्रांत विशेष का प्रेम है!! किस तरह एंड्रू साहब ने इसे एक समुदाय विशेष का प्रेम साबित कर दिया!! एंड्रू साहब यही पर ही नहीं रुके. इसके बाद वे इस बात का उल्लेख करने से भी नहीं चूके कि भारतीय एक बड़ी रकम भारत भेजते है और ये रकम भारत में राइट विंग राजनीति को पोषित करती है!! “…academic experts say there is little doubt that right-wing movements do well from this source of funds.” भारत में मोदी प्रधानमन्त्री क्या हुए विदेशी कूटनीति ने अपना दानवी चेहरा दिखाना शुरू कर दिया? इसी बीबीसी ने आपको कभी बताया कि मुस्लिम राष्ट्रों से खुद उनके देश में, अन्य देशो में और भारत में आतंकी घटनाओ को अंजाम देने के लिए कितना पैसा आता है!! कौन है जो मुस्लिम आतंकियों को फंड देते है? इस बात की पड़ताल कब होगी?
इसके बाद इस ब्रिटिश संवाददाता ने वही पुराना राग अलापना शुरू किया जो विदेशी मीडिया की पहचान है. ये मोदी की जीत हिंदुत्व की जीत है. ये हिन्दू वर्ग की जीत है. ठीक ऐसा ही हमारे यहाँ एक सेक्युलर आत्मा सोचती है. ये एक औसत मुस्लिम वर्ग की भी सोच है. और अब ये समझ में आता है कि एक पढ़े लिखा उन्नत विदेशी दिमाग जो कई यूनिवर्सिटी से संबद्ध है वो भी यही सोचता है. ये भारतीयों का प्रेम नहीं है. मोदी केवल हिन्दू वर्ग का प्रतिनिधित्व करते है. ये खतरनाक कार्ड तुरुप का पत्ता होता है. इस संवाददाता ने ये भी चल दिया। “While the organisers insist that Indians of all religions, regions and backgrounds will be present at Wembley, Modi’s success reflects a Hindu cultural revivalism which is at least as evident, some would say more so, among the diaspora as in India.” इस संवाददाता ने ये दर्शाना भी जरूरी समझा कि मोदी की तुलना में चीनी राष्ट्रपति का स्वागत बेहतर हुआ था और उसमे बेहतर राजनैतिक एजेंडा शामिल था!! “British government’s overture to China is seen as a bold and distinctive foreign policy initiative, there’s not the same diplomatic buzz about the Indian leader’s arrival.” खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे!!!
इससे ये साफ़ समझ में आता है कि विदेशी मीडिया या विदेशी राजनैतिक मंच मोदी की लोकप्रियता से भयभीत है. या हम भी साफ़ साफ़ ये क्यों ना कहे कि हिन्दुओ की मजबूती बाहरी लोगो को रास नहीं आ रही है. वे हर हथकंडे अपना रहे है जिससे लोगो में गलत सन्देश जाए. ब्रिटिश शासन को खत्म हुए एक युग बीत गया लेकिन इनकी फूंट डालने वाली नीतियाँ नहीं बदली. इस दुष्प्रचार के लिए वे किसी भी हद तक गिर सकते है. भारतीयों को इससे सजग रहना पड़ेगा! विदेशी मीडिया से प्रकाशित खबरों को ध्यान से पढ़े. बिल्कुल पढ़ना बंद करना संभव होता तो वो भी कहते लेकिन ऐसा सम्भव नहीं. सजगता से पढ़े ये कहना ज्यादा सही है. इन खबरों से तो मेरा मोह उच्च विदेशी संस्थानों से टूट सा चला है. इतने बंद दिमाग भी ऐसे संस्थानों की उपज हो सकते है ये सोचा भी नहीं जा रहा है जो भारत के विरोध में सब गलत तरीके आजमा सकते है. भारत की उन्नति विदेशी लोगो को रास नहीं आ रही है पर भारत अब बढ़ता ही जाएगा!!
( इनसे समाचारों में पक्षपात की उम्मीद की उम्मीद हम नहीं करते लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है, ये खबरों को ख़ास विकृत स्वरुप में प्रस्तुत करते है )
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