तुगलकी और शुतुरमुर्गी मानसिकता से बाधित मोहम्मद रफ़ी प्रेमी विविध भारती!

विविध भारती ने अपनी पहुँच की क़द्र नहीं की बल्कि उल्टा अपनी सबसे ज्यादा पहुँच के होने के दंभ ने इसके अन्दर ऐरोगेन्स का समावेश कर दिया है. ये इसी का नतीजा है कि ये जानते हुए भी कि हर कार्यक्रम में रफ़ी के गीत बजाने से इनका श्रोता वर्ग एक नीरसता का अनुभव कर रहा है ये अपनी मनमानी पे कायम है. इनका बस चले तो ये चित्रलोक कार्यक्रम में भी रफ़ी का ही गीत बजाये!

विविध भारती ने अपनी पहुँच की क़द्र नहीं की बल्कि उल्टा अपनी सबसे ज्यादा पहुँच के होने के दंभ ने इसके अन्दर ऐरोगेन्स का समावेश कर दिया है. ये इसी का नतीजा है कि ये जानते हुए भी कि हर कार्यक्रम में रफ़ी के गीत बजाने से इनका श्रोता वर्ग एक नीरसता का अनुभव कर रहा है ये अपनी मनमानी पे कायम है. इनका बस चले तो ये चित्रलोक कार्यक्रम में भी रफ़ी का ही गीत बजाये!

विविध भारती देश की सुरीली धड़कन है. ऐसा आप महसूस करते है. ऐसा ही इसका प्रोमो जो अक्सर बजता रहता है वो भी यही बात कहता है. लेकिन हकीकत कुछ और ही तस्वीर बयान करती है!!  विविध भारती अपनी तुगलकी नीति के चलते एकरसता का शिकार हो चला है. ऊपर से कार्यक्रमों के प्रस्तुतीकरण में पक्षपातपूर्ण नीति, नवीनता का अभाव और मौलिकता से कट्टर द्वेष ने विविध भारती को प्राइवेट चैनल के सापेक्ष हाशिये पे ला खड़ा कर दिया. आज लोग विविध भारती से भावनात्मक लगाव से ज्यादा जुड़े है इसलिए नहीं कि इनके कार्यक्रमों में कोई नयी बात है. ये कहते हुए कोई संकोच नहीं रेडियो सीलोन अपनी दमदार प्रस्तुति,  उद्घोषको की मौलिकता और विविधता के प्रति जबरदस्त समर्पण और नवीनता के प्रति रुझान के चलते विविध भारती से मीलो आगे है!! विविध भारती ने अपनी पहुँच की क़द्र नहीं की बल्कि उल्टा अपनी सबसे ज्यादा पहुँच के होने के दंभ ने इसके अन्दर ऐरोगेन्स का समावेश कर दिया है. ये इसी का नतीजा है कि ये जानते हुए भी कि हर कार्यक्रम में रफ़ी के गीत बजाने से इनका श्रोता वर्ग एक नीरसता का अनुभव कर रहा है ये अपनी मनमानी पे कायम है. इनका बस चले तो ये चित्रलोक कार्यक्रम में भी रफ़ी का ही गीत बजाये! यही एक कार्यक्रम है जिसमे रफ़ी के गीत नहीं बजते और क्या पता विविध भारती के अन्दर बैठे शुतुरमुर्गी मानसिकता के लोगो के ये बात बहुत ही अखर रही हो!!

बल्कि इसी बात पे विविध भारती के एक घनघोर प्रशंसक ने हताश होकर इस पर इस्लामीकरण का लेबल चस्पा कर दिया!! मोहम्मद रफ़ी के गीत को हर हाल पर श्रोताओ पर थोपने के चस्के चलते इस पर देर सबेर ये लेबल लगना तय था. पहले शायद हमें ये लगता था की शायद ये अपना भ्रम है या कोई हसीन इत्तेफाक है जो  रफ़ी के गीत शायद ज्यादा ही बज रहे हो लेकिन जिस अनुपात में रफ़ी के गीत बजते है उससे ये शक गहरा गया है कि रफ़ी साहब के गीतों को हर हाल में बजाते रहने के पीछे कोई और ही समीकरण काम कर रहा है. चाहे ये किसी बंद दिमाग की हरकत हो या फिर इसके पीछे रोयल्टी वजह हो इससे घनघोर नुकसान हम जैसे विविध भारती के परम रसिको का ही हो रहा है.

हम आपको उदाहरण दे रहे है. “आज के फनकार”  कार्यक्रम में अगर प्रोग्राम मीना कुमारी पे चल रहा हो तो भी गीत का जो अंश बजेगा वो फीमेल संस्करण ना होकर रफ़ी का संस्करण होगा? क्यों ? मुझे अच्छी तरह याद है “दिल जो ना कह सका” ( भींगी रात )  इसका रफ़ी वाला हिस्सा बजा पर लता का हिस्सा जैसे ही शुरू हुआ गीत कट गया !! इनका एक कार्यक्रम आता है रात को साढ़े दस बजे “आपकी फरमाईश”. कुल मिलाकर लगभग छह गीत बजते है और बिना रोक टोक सभी गीत ज्यदातर रफ़ी के ही बजते है. बहुत हुआ तो एक गीत किसी और कलाकार का बजा दिया.  दोपहर में ये “मनचाहे गीत” बजाते है पर समझिये इस मनचाहा कुछ नहीं! पूरा का पूरा प्रोग्राम ही रफ़ी के महिमामंडन में लगा रहता है.

इस प्रोग्राम के ख़त्म होने के बाद ढाई बजे से “सदाबहार नगमे” बजेगा. सिर्फ और सिर्फ एक क्रम से रफ़ी के ही गीत बजते है. छाया गीत उद्घोषक का अपना प्रोग्राम होता है लेकिन वशीकरण के शिकार इनके अधिकतर उद्घोषक  रफ़ी के गीत बजाते है!!  हेमंत कुमार, मुकेश, किशोर कुमार, तलत महमूद, सुरैय्या, नूरजहाँ, सहगल. मन्ना डे, सुमन कल्यानपुर, महेंद्र कपूर और सुरेश वाडकर जैसे बेहतरीन गायक इनकी प्राथमिकता में है ही नहीं! एक कार्यक्रम ये बारह से एक बजे के बीच सुनवाते है “एसएमएस के बहाने VBS के तराने” उसमे भी ये रफ़ी-प्रधान फिल्मे रख देंगे तो जाहिर है  गीत रफ़ी का ही ना बजेगा!! प्रसार भारती का लगता है  इस संस्था पे नियंत्रण ना के बराबर रह गया है तभी इसमें मनमानी चल रही है.

इनके लोकल स्टेशन का तो हाल इसलिए भी बुरा है कि लोकल स्टेशन अभी तक ये नहीं समझ पाए है कि युग बदल गया है. लोकल स्टेशन के उद्घोषक तो सामन्ती प्रवित्ति के जीव है जो हर हाल में अपने  को श्रोता से सुपीरियर समझते है. ये गीत रफ़ी के ज्यादा नहीं बजाते लेकिन इनका प्रस्तुतीकरण अभी भी बहुत उबाऊ है और कर्कश है. गीत के बीच में कब विज्ञापन बजना शुरू हो जाएगा कोई कह नहीं सकता!! इनके पास संसाधन का रोना तो है ही एक ग्लोबल मानसिकता का अभाव भी है! या यूँ कहे अपनी संस्कृति को नए अंदाज़ में पेश करने की कला नहीं है, तमीज नहीं है!

उम्मीद है विविध भारती श्रोताओ की नब्ज पहचानकर अपने तौर तरीको में सुधार लाएगा. वो ये ना भूले श्रोताओ की पसंद से ऊपर कुछ नहीं. रफ़ी के एक महान गायक थें पर उनके सापेक्ष अन्य गायक भी उतने ही सुरीले और वजनी थे. आप और गायकों की उपेक्षा क्यों कर रहे है? देश में फैले विभिन्न श्रोता फोरमो को मेरी ये सलाह है कि प्रसार भारती के अधिकारियो को “रफ़ी की बरफी” काट रहे विविध भारती के कुछ संदिध तत्त्वों के बारे में खबर करे नहीं तो जो विविध भारती की थोड़ी सी  लोकप्रियता बची है वो भी इससे छिनते देर ना लगेगी.

इतने अच्छे गायक गायिकाएं हमारे पास है तो सिर्फ रफ़ी के हे गीत बजाने का क्या तुक है?

इतने अच्छे गायक गायिकाएं हमारे पास है तो सिर्फ रफ़ी के हे गीत बजाने का क्या तुक है?

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सोशल मीडिया पे हमने एक चर्चा का आयोजन किया. उस पर कुछ श्रोताओ ने ये बात कही:

विनय धारद:

विविध भारती कब इस्‍लामीकरण से दूर होकर किशोर कुमार के गीत सुनाएगा!!

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आनंद शर्मा, मुंबई:

मो. रफ़ी बेशक बहुत सुरीले और बहुमुखी गायकी प्रतिभा के धनी थे लेकिन केवल वे ही एकमात्र श्रेष्ठ गायक थे ऐसा कहना उसी मूर्ख को शोभा देता है जिसने उनके समय के किसी अन्य गायक को न सुना हो.

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वीरेन्द्र मिश्र, मुंबई:

मुंबई में रहते हुए बहुत ही निकट से फिल्मी दुनिया से परिचित रहा हूँ। कुछ समय पत्रकारिता भी की है। इतना तो आप भी स्वीकारें कि हिन्दी फिल्मोद्योग अनेकानेक वर्षों से अंडरवर्ल्ड और विशेषकर मुस्लिम परस्त रहा है। आप पायेंगे कि घटिया से भी घटिया मुस्लिम कलाकार हिन्दी फिल्मोद्योग में जोड़ तोड़ के बलबूते बडी ही जल्द प्रचार पाकर स्टारडम के शीर्ष पर पहुंच जाता है।

रफी साहब व्यक्तिगत रूप से अच्छे व्यक्ति थे लेकिन यह वह समय था जब नौशाद-दिलीप कुमार गैंग येन-केन-प्रकारेण मुस्लिम कलाकारों को स्थापित करने के लिए एडी चोटी का जोर लगा रहे थे। इसी कडी में रफी साहब की प्रशस्ति में आकाश पाताल एक कर दिया गया और वही किशोर दा का नाम बिगाडने का भयानक कुचक्र रचा गया जिसमे यह गैंग अति सफल रही। इन्हें कुछ ऐसे राजनेताओं का संरक्षण भी प्राप्त था जो सेक्युलर थे, जिनका काम हिन्दू विरोध था। इन्ही काम षड्यंत्र था कि किशोर दा को ‘अंडर प्ले’ किया जाये। उस समय के जो संगीत मनीषी कहलाते थे वे भी किसी न किसी कारणवश ऐसी चाटुकारिता में लिप्त रहते थे। बहुत महान गायक होने के उपरांत भी रफी साहब के कुछ गीत ऐसे हैं जिन्हें सुनकर खीज और उकताहट होती है।

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सुधीर द्विवेदी, नयी दिल्ली:

जहा तक मुझे लगता है रफ़ी साहब ने बाकी गायको की तुलना में ज्यादा गीत गाये है और वो भी क्लासिक दौर में अर्थात 50 से 70 के दशक के बीच तो स्वाभाविक है की रफ़ी साहब के गीत ज्यादा सुनाई देंगे। और विविध भारती क्लासिक पीरियड को ज्यादा महत्व देता है। अब प्राइवेट फम चैनल्स को ले लीजिये पुराने गीत के नाम पे वो सिर्फ किशोर कुमार और आर डी बर्मन के कॉम्बिनेशन के गीत ही बजाते है। 1 घंटे के प्रोग्राम् में अगर 10 गाने बजते है तो उसमे 7 गाने किशोर दा के होते और बाकी 3 गानो में रफ़ी साहब मुकेश जी और कभी कभी दूसरे गायको के गाने बज जाते है। बरहाल जो भी हो मेरे  हिसाब से गीत  श्रोताओ की विविधतापूर्ण  पसंद को ध्यान में रखते हुए ही बजाने चाहिए। जिस हिसाब से गानो की फरमाइश हो उसी अनुपात में गायको के गाने बजने चाहिए। इस बात की जांच होनी चाहिए कि रफ़ी के गीत क्यों कर ज्यादा बजते है. किसी ख़ास गायक के गीतों को थोपना ठीक बात नहीं!

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हरीश सेठ, औसा, महाराष्ट्र:

नमस्कार! मैंने भी विनंती की थी कि हर कार्यक्रम में किशोर के कुछ नग़्मों को याद कीजियेगा. मुकेश, येसुदास और  मनहर जैसे कई सुरसम्राट जो विविध भारती के प्रोग्रामो में रफी जी के मुकाबले कम ही पेश होते हैं. रफी जी का स्थान दुनिया का कोई गायक नहीं ले पाएगा. वो सर्वोत्तम ही थे. मगर बहुत से श्रोता चाहते रहे है कि सुरों के संसार में हरदम सभी सितारों की गूँज सुनाई दे. गायिकाओं के बारे में भी इसी बात को लेकर विचार हो..ये प्रार्थना है हमारी.

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हेमंत कुमार और लता की आवाज़ में ये “नागिन” चलचित्र का बेहद सुंदर गीत सुने. संगीत हेमंत कुमार का है .गीत को लिखा राजिंदर कृष्ण ने है.

Pics Credit:

Pic One

Pic Two

14 responses

  1. Sunil Samag, Auranagabad, Maharashtra, said:

    दिल की बात कही दोस्त…

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    Author’s Response:

    …और दिल पे पत्थर रख कर बहुत संकोच के साथ कहा …दिल के हाथो मजबूर होकर …. 😦 😦 😦

  2. Many thanks to these early birds :

    Radhakrishna Lambu, Edinburgh, United Kingdom; Vijay Singh Mahobia, Khandwa, Madhya Pradesh, and Kirit Bhatt, Gujarat.

  3. Many thanks to these readers who made their presence felt on this post 🙂 🙂 🙂

    Ravi Hooda, Toronto, Canada; Jayant K. Bhadury, Tel Aviv, Israel; Pankaj Joshi, Jaipur, Rajasthan; Manish Tripathi, Allahabad, Uttar Pradesh; Rajesh Kumar Pandey, Advocate/Legal Correspondent, Allahabad High Court, Allahabad; Rajendra Mishra, Kashi Varta, Correspondent, Chunar, Mirzapur, Uttar Pradesh; Sheel Kamal, Research Scholar, Allahabad, Uttar Pradesh; Giriraj Soni ( Kanha ), Udaipur, Rajasthan; Kirit Bhatt, Guajarat, Radio Ceylon Fan’s Club; Chetan Joshi; Sami Baba, Radio Ceylon Fan’s Club, Quetta, Pakistan; Raja Dilip, Radiovani-Baate Radio Ki, New Delhi; Ajay Tyagi, Noida, Uttar Pradesh; Kamlesh Kumar Tak, Jaipur, Rajasthan; Meenal Shrivastava, Student, Mirzapur, Uttar Pradesh Dilip Kumar Sinha, Freelance Journalist, Lucknow, Utar Pradesh; Ajay Deshpande, Shrota Biradari,Indore, Madhya Pradesh; Shirish Kumar, Shrota Biradari, Indore, Madhya Pradesh, and Swati Kurundwadkar, Bangkok, Thailand.

  4. Many thanks to respected members of Radio Ceylon Global Listeners’ Club, Facebook, for registering their presence on my post in a huge way!! Some of the notable names are:

    Prakash Deshpande, Aurangabad, Maharashtra; Ashwani Sharma, Former Administrative Officer, International Monetary Fund, Ashburn Virginia, USA; Kailash Shukla, Indore, Madhya Pradesh; Anil Shravane, Nagpur, Maharashtra; Narayan Torvi, Dombivli, Maharashtra; Ashok Pandya, Mumbai; Girish Manekshwar, Pune, Maharashtra; Makarand Deshpande, Former Chief Manager ( Admin) , SBI, Hyderabad; Meena Singh, R J, All India Radio, Mumbai; Ashok Varma, Mumbai, Maharashtra; Vinay Ganesh Newlkar, Vivek Shirali, Bangalore; Bharat Sharma, London, United Kingdom; Daman Khan, Ashok Jain, Kota, Rajasthan; Abhinav Benodekar, Pune, Maharashtra; Harish Sheth, Mumbai, India; Shevta Vyas, Indian Overseas Bank, Rajkot, Gujarat; Vijay Singh Mahobia, Khandwa, Madhya Pradesh; Zaheer Ayyaz, Engineering Manager, Radio Pakistan, Faisalabad, Pakistan; Dr N D Agravat, Rajkot, Gujarat, and Sunil Joshi, Pune Maharashtra.

  5. Many readers belonging to Radio Ceylon Global Listeners’ Club, Facebook, made pretty interesting observations on my post. I am posting some of the comments on my page:

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    Girish Manakeshwar, Pune, Maharastra, said:

    Arvind K Pandey जी विविध भारती की विविध समस्याएं तो उनके उगम से ही उनके साथ है। वो सभी श्रोता जानते हुए भी कुछ करने या सुधारने मैं असमर्थ है। इसके कई कारण है उसी मैं एक है लाल फीत का कारोबार। और ये सब भारत सरकार के मुलाजिम । इनसे और ज्यादा अपेक्षा रखना गलती है। पर रेडियो सीलोन भी आज कल व्यक्तिकेंद्रित बन गया है। उद्घोषक वर्ग के पास अब कोई पारदर्शी व्यवहार की अपेक्षा रखना गलती साबित हो रही है। इस अंतर्राष्ट्रीय माइक का सरे आम दुरूपयोग हो रहा है। और सिर्फ नाम के भूखे लोग और प्रस्थापित उद्घोषक वर्ग ने रेडियो सीलोन की प्रतिमा को मिटटी मैं मिलाया है।

    यहाँ के उद्घोषक कहते है -‘कोई फूल चढ़ाये या उनको पत्थर मारे …हम जो मर्जी मैं आये करेंगे’। गाने लगाकर श्रोताओ को ताने मारते है जैसे- ‘चाहे कोई हमको गालिया हज़ार दे मस्तराम बनके हम जिंदगी के दिन गुजारेंगे…’और तो और उनके प्रिय श्रोताओ को ये कहकर आश्वसित करते है के -‘आपको किसी से डरने की कोई जरुरत नहीं है।’ ये सब चल रहा है 1 घंटे के प्रसारण मैं। इनकी हिम्मते दिन ब दिन बढती ही जा रही है। क्यों के उनके ऊपर कोई प्रशासन का नियंत्रण नहीं है ऐसा दिखता है।ये सभी प्रकारों के बारे मैं आप क्या कहना चाहेंगे? क्या ये एक बिकाऊ मानसिकता नहीं है उद्घोषक वर्ग की?

    क्या रेडियो सीलोन केउद्घोषक वर्ग ने आत्मपरीक्षण नहीं करना चाहिए? इससे तो बेहतर विविध भर्ती हो सकता है जहा पर श्रोताओ को उद्घोषक ताने तो नहीं मारते होंगे। और माइक का इस प्रकार से दुरूपयोग तो नहीं करते होंगे। उद्घोषक वर्ग को काफी सावधानि से काम निभाना होता है ये भी अब उनको याद नहीं है। रेडियो सीलोन को काली पोत लगाने का काम यही लोग और कई opportunist श्रोता लोगो ने किया है और आज भी वो कर रहे है। ये भी रेडियो सीलोन ko धोखे की सूचना है।

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    Subedar Singh, Aam Aadmi Party, Mumbai:

    बहुत बहुत पहले ही झेले है रफी रहित गानो की मार ।

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    Baburao Shid, Pune , Maharashtra, said:

    Mai sahamat nahi hun. KEAWAL RAFI JI KE GANE HI VB LAGATI HAI YE BAHOT BADA ZOOTHA ILZAM HAI. MAI BHI VB 1957 SE LAGTAR AAJ TAK SUNTE AAYA HUN. (SATHME RADIO CEYLON BHI).

    Lagata hai aap RAFI se nafrat karte ho. Vividh Bharati par hi aajkal Golden Era ke gane sunane ko milte hai. Radio CEYLON kewal 1 hr aur aasani se radio par nahi lagta. Aur mirchi, BIG FM kewal RDB KISHOR ke wahi gane RATATE hai.

    VB common available hai (net par 24 hrs). Aur FM DTH par avilable hai: VB KE PASS ALL LEGEND SANGEETKAR,GEETKAR,GAYAKO KE INTERVIEW HAI (listen PITARA & AAJ KE FANAKAR ).

    PUNE VIVIDH BHARATI FM BAHUT HI LAJWAB PROGRAMME PESH KARTA HAI (ASK Girish Manakeshwar JI) ….SUBAH 10-12 LAJAWAB PROGRAMME HOTE HAI. PUNE VB KE Mangesh Waghmare JI BAHUT ACHHA PROGRAMME PESH KARTE HAI.

    1950 se leker 1970 tak Golden Era me agar Rafi ji ke hi Solo, Duets (rafi-lata.rafi-aasha, rafi-suman, rafi-geeta) sabse jyada aur bahut hi behatreen hai, Aur VB par bajate hai aur log farmaish karte hai to isme bura qua hai? Jo log after 70s ke Kishor ke fan hai unke liye to private FM-mirchi-city-big FM hai jaha daily bar bar kishor+ R D burman ke hi gaane aur wo bhi 70-75 tak ke hi ratate hai!!

    After SLBC only VB has got collection of Hindi cinema songs & they do play those songs. 50-6os there were so many B & C grade movies ,unknown music directors aur VB par kabhi kabhi wah gane bhi sunaye jate hai.

    Anniversary par legendary artist ki Jayamala recording bhi sunate hai. FOR EXAMPLE: Hal hi me maine GEETA DUTT aur great S D BURMAN ji ki pesh ki gayi Jayamala suni. SDB ka prgm sunke bahot aananad mila.

    Ramlal.Usha Khanna,Shamshad,Sudha Malhotra, OP, Naushad, Shanker, Jayakishan, Pyarelal, Anil Biswas, aur bhi kayi RARE AUR KIMATI interviw VB ne sambhala ke rakhe hai…..

    Sangeet Sarita to VB ka 1972 se leker aajtak ka ek unique programme hai jisme RD+GULZAR+AASHA ka ek RARE & ANMOL PROGRAMME Huwa hai……..Ye sab baate VB ki criticism karnewalo ko shayad bilkul hi malum nahi hogi…..

    VB GOVT CHANNEL HONE SE KUCHH KHAMIYA JAROOR HAI…..LEKIN EKDAM NEGATIVE NAHI HAI…..THANX….

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    Vivek Shirali, Bangalore, said:

    I remember famous cartoonist gr8 Mario in one of his works referring Vividh Bharati as ‘Vidhava’ Bharati for the lack of substance!

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    Prasad Jambhekar, Surat, India, said:

    Please do not bring communalism in the music. Rafi saab is and was and will always remain a great singer for all music lovers!!

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    Bhupendra Kumar Sinha, Panvel, Maharashtra, said,

    MD RAFI ,I FIRST TIME CAME TO KNOW OR WE CAN SAY ,ONLY MR.PANDEY JI IS THE ONLY UNIQUE NAME WHO DOES NOT LIKING RAFI IN THE WORLD ..IN MY VIEW RAFI AND LATA ARE THE ONLY SINGER ,AS IF A CHANNEL START TO PLAY THEIR SONG WHOLE DAY ,PEOPLE WILL NOT LIKE TO CHANGE THE CHANNEL ..MUSIC LOVERS LISTEN ALL TYPE OF SONGS! ONLY WHO DOES NOT HAVE MUSIC SENSE CAN EXPRESS SUCH STATEMENT

    TANSEN CREATED SUCH RAAG KE DEEPAK JAL UTHE AND AFTER HIM RAFI IS THE ONLY SINGER KE PARALYTIC PATIENT BECAME CURED ..AAJ BHI BAHUT SE TEMPLE ME RAFI KE GANE SE MANDIR KA DWAAR KHULTA HAI LIKE VARANASI ..NASIK ETC ..YES ..MAY BE PANDEYJI BECAME FRUSTRATED AS MAY BE HIS CHOICE SONGS ARE NOT GETTING PLAYED..BUT MY OPINION IS PANDEYJI SHOULD DEVLOPE HIS CHOICE TO LISTEN ALL TYPE OF SONGS

    SLBC STILL HAVE ITS OWN VALUE. IT ENJOYS GREAT FAN FOLLOWING….VIVIDH BHARATI NEED SOME ATTRACTIVE CHANGES TO CREATE SPECIAL PLACE SO THAT LISTENERS REAMAIN ATTACHED ..IT’S OUR MORAL RESPONSIBILITY TO GET CHANGES AS PER OUR CHOICE RATHER THAN CRITICIZE OF ANY MUSIC CHANNEL ..ALL MUSIC CHANNELS PROVIDES UNCONDITIONAL GIFT TO MUSIC LOVERS

    SO LET US CHANGE OUR ATTITUDE TOWARDS THEM ,LISTEN WHAT YOU WANT AND MAKE THEM TO PLAY AS YOU WISH ..STOP BLAME GAME ..LISTEN RAFI AS MANY TIMES POSSIBLE AS HIS VOICE WILL GIVE YOU MENTAL PEACE! YOU WILL REALIZE IT. CLOSE YOUR EYES AND LISTEN HIS BHAJAN DAILY MORNING JUST THE WAY YOU LISTEN AARTI. YOUR SOUL WILL START TO GET IN TUNE WITH SUCH IMMORTAL VOICE ..

    THANX FOR SUCH GREAT CHANGES IN YOUR ATTITUDE ..GOOD NIGHT ..

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    Author of this post, i.e. Arvind K.Pandey, responding to all these views of respected listeners, said:

    आप सभी विद्द्वान श्रोताजनो का ह्रदय से आभार कि इतने व्यापक और गहन रूप से आप सभी ने अपनी बाते रखी. कुछ नए तथ्य प्रकाश में आये. लेकिन सब के कमेंट्स पढने के बाद कुछ चीजों को हम स्पष्ट करना चाहेंगे. शायद इसमें से कुछ सुधी पाठक सरसरी निगाह से लेख पढ़ गए इसलिए उनकी बातो का झुकाव कुछ गलत बातो की तरफ हो गया.

    सो इस बात को स्पष्ट करना बेहद जरुरी सा हो गया है कि ये लेख रफ़ी साहब की गरिमा को ठेस पहुचाने के उद्देश्य से नहीं लिखा गया है. हमने अपने लेख में कई जगह ये कहा है कि रफ़ी साहब एक बेहतरीन गायक थें. हमे अगर इनकी छवि को धूमिल ही करना होता तो अपने लेख में इस दृष्टि को रखने की हम जरुरत ही ना महसूस करते!

    मुद्दा सिर्फ एक इस बात का है कि क्यों कर विविध भारती पे एक गायक विशेष की ही गीत बजते है? ये महज इत्तेफाक नहीं हो सकता कि पूरे के पूरे कार्यक्रम में रोजाना एक ही गायक के गीत बजे? मेरा सिर्फ ये कहना है कि शक को दूर करने के लिए स्वंतंत्र एजेंसी से इस बात की पुष्टि कराई जाए कि गीत श्रोताओ की मर्जी से बजते है या फिर किसी ख़ास अधिकारी या ख़ास उद्घोषक की पसंद से! इसमें क्या बुरा है? और इस प्रश्न के गलत मायने क्यों निकाले जा रहे है? क्या आप चाहते है रोज एक ही गायक के हम गीत सुने?

    यकीन मानिए हम विविध भारती के बहुत बड़े प्रेमी है और रफ़ी साहब के गीतों का भी अच्छा ख़ासा कलेक्शन है सो ये समझना सहज ही होगा कि इन्हें बेवजह टार्गेट करने की कोई वजह नहीं . और यदि कोई बात हमने कही है तो वो सूक्ष्म अध्ययन के बाद ही कही है. फिर से कहेंगे अगर आप और महान गायकों को छोड़कर सिर्फ एक ही गायक के गीत बजायेंगे तो वो विविधता के सिद्धांत पे ही चोट करेगा. ये विविध भारती के भविष्य के लिए कतई अच्छा ना होगा .

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  6. Sunil Kumar, Shrota Biradari, Jamshedpur, Jharkhand, said:

    रफ़ी साहब अपने समकालीन गायकों से काफी आगे थे, गायकी के मामले में भी और गानों की संख्या के मामले में भी l रफ़ी साहब हिंदी फिल्म संगीत के सुनहरे दौर के प्रमुखतम गायक थे l इसलिए यह कहना कि किसी साजिश के तहत उनके गाने ज्यादा बजाए जाते हैं मेरे ख़याल में ग़लत है l अगर सुनहरे दौर के गाने बजाए जाएँगे तो निस्संदेह रफ़ी साहब के गाने ही ज्यादा सुनाई पडेंगे, इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है l

    इन लेखकों को तब नहीं दिखता जब FM चेनेल्स को पुराने फिल्मी गीतों के नाम पर आर डी बर्मन और किशोर कुमार के अलावा कुछ नहीं सूझता l वैसे भी रफ़ी साहब अभी भी बाकि गायकों से ज्यादा लोकप्रिय हैं l
    जहाँ तक फ़िल्म संगीत में मुस्लिमों को बढ़ावा देने की बात है तो ये कोरी बकवास है l अगर ऐसा होता तो लता मंगेशकर कभी भी इतनी बड़ी गायिका नहीं बन पाती l नौशाद साहब ने ही नवोदित गायिका लता को “अंदाज़” और “दुलारी” जैसे फिल्मों में गाने का मौका दिया l नौशाद साहब के “बैजू बावरा” से ही लता के क्लास का पता फ़िल्म जगत को लगा l नौशाद ने ही मुकेश को राज कपूर से पहले “मेला” और “अंदाज़” जैसे फ़िल्मों में गाने का मौका दिया l

    50 और 60 के दशक में ज्यादातर गाने राग- रागिनियों पर आधारित होते थे, जो की किशोर या मुकेश के बस की बात नहीं थी, इसलिए इस दौर में ज्यादातर संगीतकारों की पसंद रफ़ी साहब ही रहे l रफ़ी साहब किसी भी तरह की लॉबीबाजी और राजनीति से दूर ही रहते थे, वरना सभी गायक-गायिकाओं से पहले इन्हें ही “भारत रत्न” से नवाजा जाता l
    इसलिए मुझे तो लगता है कि ये लेखक महोदय शुतुर्मुर्गी और कूपमंडूक मानसिकता से बुरी तरह ग्रसित हैं l इन्हें इससे बाहर आने की ज़रूरत है l

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    Author’s Response:

    आप शायद सरसरी निगाहों से लेख को पढ़ गए. लेख का मूल आशय वो कतई नहीं है जो आप समझे है. इस लेख को फिर से पढ़े और देखे कि ये एक संस्था की गरिमा को बचाने का ईमानदार प्रयास है जिसकी कार्य कार्यप्रणाली संदिग्ध हो चुकी है! विचार भिन्नता का हम आदर करते है …एक दूसरे फोरम पे भी कुछ कुछ भ्रमित से पाठक ने लेख को फर्राटा पढ़कर दूसरा रंग रूप देकर मूल आशय से भटकाने की असफल कोशिश की .वहा पे जो शब्द हमने कहे यहाँ भी उसी बात को रख रहे है. अंत आपको बहुत धन्यवाद कि आपने अपना कीमती वक्त निकालकर लेख के सापेक्ष अपने विचार रखे!!

    “कुछ सुधी पाठक सरसरी निगाह से लेख पढ़ गए इसलिए उनकी बातो का झुकाव कुछ गलत बातो की तरफ हो गया.

    सो इस बात को स्पष्ट करना बेहद जरुरी सा हो गया है कि ये लेख रफ़ी साहब की गरिमा को ठेस पहुचाने के उद्देश्य से नहीं लिखा गया है. हमने अपने लेख में कई जगह ये कहा है कि रफ़ी साहब एक बेहतरीन गायक थें. हमे अगर इनकी छवि को धूमिल ही करना होता तो अपने लेख में इस दृष्टि को रखने की हम जरुरत ही ना महसूस करते!

    मुद्दा सिर्फ एक इस बात का है कि क्यों कर विविध भारती पे एक गायक विशेष की ही गीत बजते है? ये महज इत्तेफाक नहीं हो सकता कि पूरे के पूरे कार्यक्रम में रोजाना एक ही गायक के गीत बजे? मेरा सिर्फ ये कहना है कि शक को दूर करने के लिए स्वंतंत्र एजेंसी से इस बात की पुष्टि कराई जाए कि गीत श्रोताओ की मर्जी से बजते है या फिर किसी ख़ास अधिकारी या ख़ास उद्घोषक की पसंद से! इसमें क्या बुरा है? और इस प्रश्न के गलत मायने क्यों निकाले जा रहे है? क्या आप चाहते है रोज एक ही गायक के हम गीत सुने?

    यकीन मानिए हम विविध भारती के बहुत बड़े प्रेमी है और रफ़ी साहब के गीतों का भी अच्छा ख़ासा कलेक्शन है सो ये समझना सहज ही होगा कि इन्हें बेवजह टार्गेट करने की कोई वजह नहीं . और यदि कोई बात हमने कही है तो वो सूक्ष्म अध्ययन के बाद ही कही है. फिर से कहेंगे अगर आप और महान गायकों को छोड़कर सिर्फ एक ही गायक के गीत बजायेंगे तो वो विविधता के सिद्धांत पे ही चोट करेगा. ये विविध भारती के भविष्य के लिए कतई अच्छा ना होगा”

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  7. Few more listeners belonging to Radio Ceylon Global Listeners’ Club, Facebook, came to express their views on this post. I am posting their views as expressed by them with minor editing to make them gain clarity!

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    Annapurna Gayhee said:

    वास्तव में फरमाइशी कार्यक्रमों में साठ-सत्तर के दशक गीत सुनवाए जाते है जिनमें रफी साहब के गीत अधिक ही है…

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    Ashwani Kumar, New Delhi:

    विविध भारती के प्रसारण में विविधता नहीं है …

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    Murali Krishna Thope, Hyderabad, Andhra Pradesh:

    रेडियो सीलोन की गानों की तुलना में विविध भारती दूर दूर तक नज़र नहीं आएगा…

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    Harminder Chawla, Bhatapara, Chhattisgarh,

    सर्वप्रथम आपको ह्रदय से धन्यवाद देना चाहता हूँ ।आपने मेरी मनोवेदना लिखने के लिए ये post डाल दी । हम भी रेडियो सिलोन एवं विविधभारती के नियमित श्रोता हैँ । निश्चित रूप से रेडियो सिलोन की तरह गीतों का विशाल संग्रह तो विविधभारती मे नहीं हैँ पर ऐसा भी नहीं की गीतों की पुनरावृत्ति हो एक ही दिन मे एक ही गीत दो फरमाइशी प्रोग्रामो मे रिपीट जा रहा हो जबकि वह गीत ऐसा नहीं की कोई विशेष दिवस पर बार बार उसका रिपीट होना स्वाभिक हो । ऐसा तब ही हो सकता हैँ प्रोग्रामों को लिस्ट करते समय आपका उद्देश्य अपनी ड्यूटी पूरी करना हो आपके माध्यम से विनम्र विनती हैँ विविधभारती की विविधता बनाएं और आकाशवाणी के मूलमंत्र बहुजन हिताय बहुजन सुखाय की कसौटी पर भी कायम रहें ।

    **************

    Baburao Shid, Pune , Maharashtra, said:

    Not agree! BADI KHUBISE BATKO GHUMAYA HAI.LEKIN MAIN POST ME JO RAFI SAHAB KE GANO KO NIRAS KAHKE UNKA APMAN KIYA GAYA HAI. AGAR CHAHATE HAI TO MAIN POST FIR EDIT KARE RAFI JI SAMMAN KARE…..AUR RAFI KE GANE KO NIRAS AUR BORE YE APAKA KAHNA BADAL DE….APKE MANME RAFI JI KE BAREME ITANI NAFARAT HAI KI AAP UNKE DHRM PAR BHI UTAR AAYE HAI…..JO HUM 50-60 S KE SHROTA SOCHTE BHI NAHI AAP NAFRAT FAILA RAHE HO.

    *************

    Bhupendrakumar Sinha:

    Thanx pandeyji u r right,as a regular lisner…its quite right to irritate when listening repeated songs ,,Chahe jitna bhi manpasand gana ho

    And very much happy to know that you have big collection of Rafi..,Hope your this genuine efforts will bring massive changes as you needed ,,Ap ne apne manki baat share ki ,aur baat ka afsaana bangaya.

    Jabki aapka aisa intention nahi tha.. Par aap ke statement se laga ki Rafi Sahab se aap khafa hain compared to Vividh Bharati’s Management ..

    Thanx for clarity ..Even some FM channel repeat same program same day or next day its irritates , like Kishore, RD ,Gulzar baza baza ke gaane ke speciality KO nast kardiya ki ab suntehi gana bandkarna padta hai ..So some way u r right..

    GHAYAL KI GATI GHAYAL JAANE ..OK ..THANX FOR SHARING

    ****************

    Surinder Kumar, New Delhi:

    Thanks for posting this piece 🙂

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    Author’s words for Baburao Shid, Pune, Maharashtra:

    आपकी बात का हम बहुत सम्मान करते है लेकिन आप व्यर्थ की तोहमत लगा रहे है. आप की भावना को ठेस पहुची है पर ऐसा हमारा इरादा ना था. इसके लिए क्षमा. लेकिन इस पोस्ट के मूल आशय को आप बेवजह तोड़ मरोड़कर कर भ्रम फैला रहे है. इससे बचे. मेरे पोस्ट में कही भी रफ़ी के खिलाफ आपत्तिजनक टिपण्णी नहीं की गयी है. जिस अंशो से आप खफा है और जहा से आप अपनी बाते उठा रहे है वे देखे कि चर्चा में शामिल आप ही जैसे अन्य फोरम के सम्मानित सदस्य के निजी विचार है. उनकी बातो को हमने बिना किसी कांट छांट के इसलिए रखा ताकि कम से कम सिर्फ रफ़ी के गीत हर समय बजाते रहने से जनमानस में क्या सन्देश जा रहा है ये लोगो को कठोरता से पता चले. सो पोस्ट में संशोधन करने का कोई तुक नहीं.

    **********************

  8. Bhupendra kumar sinha | Reply

    Rafi JI ke bare me jokuchh kahagaya hai ..I think iska koi reply nahi Karna chahiye ..ye musical kam our political jyada hain ..Rafi ne jitne Hindi bhajan Gaye ..koi Hindu bhi nahi gaya yoga ..ye faltuka platform hai ..music lovers nahi ..acrosh jyada jhalakta hai ..gayeki me Urdu labz ka ehmiyat hotahi hai ..Bismilla khan ..Varanasi ..koi aur kiun nahi aya..KISHORE KUMAR HAD NO MUSICAL KNOWLEDGE ,HIMSELF HE DECLEARED ,MUKESH SINGER CHHOD HERO BANNEGAYE ..BACHGAYE TALAT MANNADEY..SO ITS QUITE TRUE RAFI KE HI GAANE GUNJTEHAIN AAJBHI SABHIJAGAH ..AUR ACHHE LAGTE HAI ..ANY WAY THIS IS NOT A RIGHT FORUM ..THNX ..

    1. @ भूपेंद्र जी,

      आपकी टिपण्णी का ह्रदय से स्वागत है…क्योकि यही बात आपने रेडियो सीलोन से जुड़े फोरम पर आप पहले ही व्यक्त कर चुके है और इसका हम वहा पे पहले ही दे चुके है कि ” आप व्यर्थ की तोहमत लगा रहे है. आप की भावना को ठेस पहुची है पर ऐसा हमारा इरादा ना था. इसके लिए क्षमा. लेकिन इस पोस्ट के मूल आशय को आप बेवजह तोड़ मरोड़कर कर भ्रम फैला रहे है. इससे बचे. मेरे पोस्ट में कही भी रफ़ी के खिलाफ आपत्तिजनक टिपण्णी नहीं की गयी है. जिस अंशो से आप खफा है और जहा से आप अपनी बाते उठा रहे है वे देखे कि चर्चा में शामिल आप ही जैसे अन्य फोरम के सम्मानित सदस्य के निजी विचार है. उनकी बातो को हमने बिना किसी कांट छांट के इसलिए रखा ताकि कम से कम सिर्फ रफ़ी के गीत हर समय बजाते रहने से जनमानस में क्या सन्देश जा रहा है ये लोगो को कठोरता से पता चले.”

      लिहाजा फिर से हम कोई आपके लिए अलग से कोई बात नहीं कहेंगे….लेकिन आप बेवजह उन बातो को अनावश्यक तूल दे रहे जिन पर हम पहले ही सफाई दे चुके है. हमने कोई बात कही तो उसका सन्दर्भ राजनैतिक है या नहीं ये उतना आवश्यक नहीं जितना कि ये समझना कि जब हमने अपनी बात एक लम्बे ऑब्जरवेशन के बाद कही है!!सो इसमें किसी गायक का अपमान करने वाली जैसी कोई बात नहीं. धार्मिक उन्माद फैलानी वाली बात तो आपकी बिलकुल बकवास बात है क्योकि साहिर और तलत जैसे कलाकार मेरी रूह में बसते है!!!

  9. Excerpts of Conversation Radio Ceylon Global Listeners’ Club, Facebook.

    **********************************

    Kailash Shukla, Indore, Madhya Pradesh:

    दिन पर दिन विविध भारती का ग्राफ गिरता जा रहा है …पुराने वटवृक्ष नींद में है, नए लोगो ने को अभी बहुत नौकरी करना है तो काम क्यों करे. सरकारी मस्ती चल रही है …

    **************
    Ashwani Sharma, Former Officer at International Monetary Fund, Ashburn, Virginia, USA:

    This is quite a news –after all any Hindi music program must not do this –rather play songs of all singers past or present without any prejudice

    *************************
    Author’s ( Arvind K.Pandey’s ) collective response to both Kailash Shukla and Ashwani Sharma ji:

    आप दोनों का बहुत धन्यवाद कि आप दोनों ने मेरे पोस्ट पे अपने विचार रखे ….कैलाश जी से तो बहुत दिनों बाद ऑनलाइन संवाद हो रहा है …इस बात के लिए आपको अलग से धन्यवाद कि आपने मेरे पोस्ट के वास्तविक मर्म को बहुत सही सही पकड़ा, ज्यादा अर्थ का अनर्थ नहीं समझा 🙂 ….सो बहुत कुछ कहने को शेष नहीं रह जाता .

  10. Girish Manakeshwar, Radio Ceylon Global Listeners’ Club, Facebook, Pune, Maharashtra, said:

    Arvind K Pandey जी मैने पूरा लेख पढ़ा, जो आपने लिंक मैं पोस्ट किया है. मैं आपसे पहले ही क्षमा माँगता हू के मैने ये पूरा पढ़ा नही था .मैं विनती करना चाहता हू के इस प्रकार के लेख जो रेडियो सीलोन के प्रसारण से कोई संबंध नही रखते उसे यहा पर पोस्ट ना करे.

    ये समूह केवल रेडियो सीलोन के कार्यक्रम और उसके गतिविधियो के बारे मैं अपने विचार लिखने के लिए है. आप रेडियो सीलोन के नियमित श्रोता है क्या? अगर हो तो आप केवल रेडियो सीलोन के बारे मैं लिखे, अगर ना हो तो आप अगर रेडियो सीलोन के बारे मैं रोचक जानकारी हो तो लिख सकते है.
    आपको पता होगा शायद के रेडियो सीलोन आज कल काफ़ी बुरी अवस्था से गुजर रहा है, मुझे पता नही आप कितने संवेदनशील है इस विषय के लिये, अगर आप इस बारे मैं कुछ मदद करेंगे तो आपका स्वागत . पर ऐसे लेख पोस्ट फ़ेसबुक पर वाइरल करके आपको क्या मिलता है. जो के संगीत के क्षेत्र को धार्मिक रंग दे.
    अगर विविध भारती सचमुच ऐसा कर रही है ऐसा आपको लगता है तो आप विवध भारती के पास इस विषय को लेकर जाए

    पर इस समूह मैं इस प्रकार से किसी कलाकार की प्रतिमा को मलिन करना या किसी आस्थपन के बारे मैं इस तरह लिखना या कहना इस समूह नियमो के बाहर है.

    कई श्रोताओ ने इस विषय के बारे मैं अपने अपने मत दिए है इसीलिए मैं इसे यहा से डेलीट नही करूँगा पर इस के बाद आप ऐसे कोई विचार या पोस्ट चर्चा हेतु और टिप्पणी के लिए कृपा कर के मत लाइए. सिर्फ़ रेडियो सीलोन और उसीके कार्यक्रम के बारे मैं लिखे. तब ही हम इस समूह की गरिमा और हेतु को सही न्याय दे सकेंगे.

    ***********************

    Author’s Response:

    आप की बात को मैंने गौर से पढ़ा …पढने पे ये नहीं समझ में आया कि आपको असल तकलीफ किस बात की है!! और आश्चर्य इस बात का है जब इतनी सार्थक चर्चा हो गयी तब आपको ये समझ में आया कि पोस्ट का रेडियो सीलोन से संबद्ध नहीं है???

    .ये बात भी आपकी बनावटी इसलिए है कि पोस्ट के इस हिस्से में रेडियो सीलोन का जिक्र एक ख़ास सन्दर्भ के रूप में आया है …और इसी वजह से हमने इसे यहाँ पोस्ट किया …सिर्फ और सिर्फ हर एंगल से रेडियो सीलोन से जुडी हुई कोई पोस्ट हो तो हां ये जरुर है कि इस पैरामीटर में ये पोस्ट नहीं आती.

    लेकिन रेडियो सीलोन से ये पोस्ट नहीं सम्बंधित है ये मानने का कोई कारण नहीं जबकि इसी बात पे एक सारगर्भित चर्चा हो चुकी है…

    ये कहने में मुझे कोई संकोच नहीं कि आप के भी जरिये इस भ्रम की पुष्टि करने का दवाब हो ( कुछ दिमागों के द्वारा ) जैसे कि किसी महान गायक का अनादर हुआ हो ..तो मेरा रुख वही है जो इस पोस्ट पे पिछले कमेंट्स में कई बार दोहरा चूका हूँ कि “ये लेख विविध भारती के कार्यप्रणाली से सम्बंधित है, रफ़ी साहब के मान-अपमान से सम्बंधित नहीं है!!” कितनी बार ये बात दोहराये ये बताये आप लोग?

    हमने पिछले कमेंट में क्या कहा वो आप जैसे चैतन्य पाठक न पढ़कर बस उसी भ्रम के वशीभूत वो बात दुहराए जा रहे है जो कुछ पाठक यहाँ चाहते है…हमने ये कहा है पिछले सन्देश में:

    ” ….सो इस बात को स्पष्ट करना बेहद जरुरी सा हो गया है कि ये लेख रफ़ी साहब की गरिमा को ठेस पहुचाने के उद्देश्य से नहीं लिखा गया है. हमने अपने लेख में कई जगह ये कहा है कि रफ़ी साहब एक बेहतरीन गायक थें. हमे अगर इनकी छवि को धूमिल ही करना होता तो अपने लेख में इस दृष्टि को रखने की हम जरुरत ही ना महसूस करते!

    मुद्दा सिर्फ एक इस बात का है कि क्यों कर विविध भारती पे एक गायक विशेष की ही गीत बजते है? ये महज इत्तेफाक नहीं हो सकता कि पूरे के पूरे कार्यक्रम में रोजाना एक ही गायक के गीत बजे? मेरा सिर्फ ये कहना है कि शक को दूर करने के लिए स्वंतंत्र एजेंसी से इस बात की पुष्टि कराई जाए कि गीत श्रोताओ की मर्जी से बजते है या फिर किसी ख़ास अधिकारी या ख़ास उद्घोषक की पसंद से! इसमें क्या बुरा है? और इस प्रश्न के गलत मायने क्यों निकाले जा रहे है? क्या आप चाहते है रोज एक ही गायक के हम गीत सुने?” ….

    क्या आपने या किसी और ने ये बात पढने की जरुरत महसूस की? और की तो फिर क्यों अनर्गल प्रलाप कर रहे है? इस स्पष्टीकरण के बाद क्यों इस मिसइम्प्रैशन को तूल दिया जा रहा है?

    हम भी आप से और अन्य से जानना चाहेंगे कि अगर किसी संस्था को वो चाहे विविध भारती हो या कोई और क्या जरूरत थी इस गलत तरीके से अपने कार्यक्रम पेश करने कि जनता में सन्देश गलत जाए? उन्होंने क्यों नहीं अपनी छवि की परवाह कि अगर उन्हें गायक विशेष से इतना ही लगाव था?

    हमने अपने पोस्ट में अगर रफ़ी साहब से सम्बंधित कोई चुभने वाली बात रखी तो वो मान अपमान के ख्याल से नहीं. सिर्फ ये बताने के लिए कि जब आप चाटुकारिता करने लगते है तो जनता या श्रोता इतने मूर्ख नहीं कि वो बात की तह में ना जा सके. इस बात को बेहतर हो फोरम के सदस्य गम्भीरता से समझने की कोशिश करे बजाय अनावश्यक विवाद खड़ा करने के

    मै फिर कहूंगा श्रोताओ पे किसी गायक विशेष के गाने ना थोपे जाए. आप या कोई अन्य अगर इसे किसी गायक की महानता या उसके छवि का अपमान समझते है तो समझा करे. मेरा ना ये आशय था और ना रहेगा.

    ********************

  11. Mukund Ramadurgam, Radio Ceylon Global Listeners’ Club, Facebook, Bangalore, Karnataka, said:

    We are straying. What is happening on a page that is exclusively dedicated for ‘Radio Ceylon’ Hindi broadcast? This is not acceptable. This post is irrelevant and should be removed. You may call it harsh, so be it.

    **************
    Author’s Response:

    This post is very much pertinent to cause of Radio Ceylon. Period.

  12. Raju Kuril, Nagpur, Maharastra, said:

    पांडेजी आपकी सोच कुंठित हो गयी है!! चित्रलोक सुनता कौन है? जिन्हे संगीत और गायकी का कखग नही मालूम!! विविध भारती नं. 1 है अपने साँग सिलेक्शन के कारण!! रफी साहब सदी के महागायक है उनके बगैर गीत संगीत और हर सरगम अधूरा है!! विविध भारती को पता है पुराने गीतों के शौकीन 80 प्रतिशत है!! उनमे रफी के 100 प्रतिशत है!!

    ************
    Author’s Response:

    अरे साहब अपनी सोच “कुंठित” नहीं “सच” के ज्यादा करीब हो गयी है 😛 ..तभी ये दिखने लगा है कि रफ़ी साहब के अलावा भी भारत में महान गायक हुए है जैसे तलत, सुर्रैया, नूरजहाँ , लता , आशा, मुकेश, किशोर, येसुदास, हेमलता, सुमन कल्याणपुर और मन्ना डे इत्यादि…और बेहतर है कि बजाय इस बात को समझने के कि रफ़ी महानतम गायक थे कि नहीं हम ये समझे कि विविध भारती की विविधता किस प्रकार से सुरक्षित रहे..ये रेडियो के भविष्य के लिए ज्यादा बेहतर रहेगा ….पोस्ट को इस तरह से ग्रहण करे तो बड़ी मेहरबानी होगी आपकी…क्योकि हमने इसी उद्देश्य से लेख को लिखा था…रफ़ी साहब बहुत अच्छा गाते थे..ये हमे पता है, आपको पता है और सारी दुनिया को पता है …जो नहीं पता है उस पर बात करे बेहतर रहेगा 😛

    **************

    Raju Kuril, Nagpur, Maharashtra, said:

    चलो आपकी इस बात पर सहमत हुँ विविध भारती की विविधता सुरक्षित रहे पर किसी भी फनकार पर ना बोले भारतीय गायन संगीत सारी दुनीया में उच्चतम है और विविधभारती प्रसारक और प्रचारक दोनो है वह सभी गायको के गाने सुनाता है.

  13. ***A Response That I Posted On Radio Ceylon Global Listeners’ Club, Facebook***

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    @ Few Readers ( And not to all of them )

    “When they can’t bury the truth, they’ll gag the truth”

    Even as I have offered few clarifications regarding certain contentious portions in my post, there are some readers/ commentators who are not able to resist their temptation of posting wayward comments on this thread. It’s my humble request to all such respected members that if they have nothing substantial to say it’s better they keep silent! They are repeatedly stating what they have already said in so many ways hoping like no better than G. Goebbels who said “A lie repeated often enough becomes the truth.” Wayward and off the mark comments would not ensure elimination of truth, after all, “हकीकत हमेशा हकीकत रहेगी. कभी भी ना इसका फ़साना बनेगा” . I realize truth has became unpalatable and nauseating for some readers on this forum ( or should I say stating truth is prohibited on this forum ) who have gone berserk while letting their views known!

    In future I will ensure that I do not venture to this forum unless I have something candyfloss, something sweet and syrupy, about Radio Ceylon quite exclusively!! “समझने वाले समझ गए जो न समझे ????”

    Yes, you can wake up those who are really sleeping but ones pretending to sleep can never be awakened!! Fem members on this forum are just behaving like the latter group of people pretending to be sleeping soundly! If that’s the case on this forum then let it be so, but please don’t kill precious time of others by behaving like Vividh Bharati repeatedly playing selected songs of certain singers again and again and thus destroying their melody for forever!!! Don’t say what you have made us known to me in so many ways. I am not going to make any amendment. Is that clear? For me truth is dearer than making one feel good!!

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