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बारा पॉवर प्रोजेक्ट में कार्यरत मजदूर ने की आत्महत्या: शुरू हुआ लीपापोती का खेल!!
( Also Published On A Prominent Indian Website Related With Cause Of Workers, Sangharsh Samwad, On October 30, 2015 )
इलाहाबाद के शंकरगढ़ क्षेत्र का दुर्भाग्य ये है कि ये अक्सर गलत कारणो से सुर्खियों में रहता है. कभी अवैध खनन की गतिविधियों को लेकर तो कभी सड़क हादसों को लेकर तो कभी दूषित पानी पीने को अभिशप्त लोगो की व्यथा के कारण. जहरीली शराब के कारण होने वाले हादसे भी इस क्षेत्र में अक्सर घटते रहते है. इलाहबाद का चर्चित एसओ हत्याकांड जो बारा में पोस्टेड थें भी इसी शंकरगढ़ क्षेत्र में खूंखार अपराधियों द्वारा दिनदहाड़े कर दी गयी थी. इस बार की घटना बारा पॉवर प्रोजेक्ट जो मिश्रापुरवा गांव में सक्रिय है से जुड़े एक कर्मचारी के कथित रूप से आत्महत्या कर लेने की है. बारा के मिश्रापुरवा गांव में बारा पॉवर प्रोजेक्ट चल रहा है जिसे जेपी ग्रुप से जुड़े प्रयागराज पॉवर जनरेशन नाम की कंपनी चला रही है. सूत्रों के मुताबिक इसी कंपनी में गाँव कपारी का तीस वर्षीय युवक रमेश तिवारी काम करता था. विगत एक वर्षो से स्वास्थ्य कारणों से वो कंपनी में अपनी उपस्थिति पूर्व की भांति नहीं दर्ज करा पा रहा था. उसकी आर्थिक और मानसिक स्थिति बिगडती जा रही थी.
इसी बीच इस पॉवर प्लांट से प्रभावित आसपास के गाँव के किसान जो कि पहले ही पॉवर प्लांट से जुड़े भूमि अधिग्रहण के लेकर बवाल काट चुके है और इस क्षेत्र में इस पॉवर प्लांट से वातावरण को पहुच रहे नुकसान को लेकर अपनी गंभीर चिंता जता चुके है बारा मुख्यालय पर उन्होंने कुछ दिनों पहले धरना प्रदर्शन किया था. इस धरने प्रदर्शन में कुछ मांगो के अलावा जो किसान इस पॉवर प्रोजेक्ट में कार्यरत थें उन्होंने अपने को स्थायी करने की मांग भी रखी. इसके साथ ही उन्होंने वेतन वृद्धि की भी मांग की. इस बाबत बुलाई गयी वार्ता में कंपनी के अधिकारी, मजदूरो के प्रतिनिधि संघटनो और उपजिलाधिकारी बारा शामिल हुए पर वार्ता विफल हो गयी. इससे मजदूर वर्ग काफी आहत हुए. इनका आक्रोश अभी ठंडा पड़ता तभी इस किसान ने कथित रूप से आत्महत्या कर ली. बताया जाता है वार्ता विफल होने से ये किसान अवसाद की स्थिति में पहुच गया था.
किसान की आत्महत्या की खबर ने किसानो में खलबली मचा दी. आक्रोशित किसान शव को लेकर कंपनी के मिश्रापुरवा गेट पर धरने प्रदर्शन पे बैठ गए. वे कंपनी के जिम्मेदार अधिकारियों से वार्ता करना चाहते थें लेकिन मौके पे कम्पनी का कोई भी अधिकारी नहीं आया. प्रदर्शनकारी चाहते थें कि उचित मुवाअजे सहित किसान के परिजनों में से किसी को नौकरी दी जाए. पुलिस के आला अधिकारी क्षेत्राधिकारी बारा सहित घटना स्थल पर तुरंत पहुचे लेकिन प्रदर्शन कर रहे किसानो ने उनकी एक ना सुनी. बाद में उपजिलाधिकारी बारा श्रीमती सुशीला ने हलके लाठीचार्ज के बीच शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टेम के लिए भेज दिया. इस घटनाक्रम में बारा क्षेत्र को अशांत कर दिया है. किसानो में फैले आक्रोश ने स्थिति तनावपूर्ण कर दी है.
इसे आप दुखद सयोंग कहिये कि अभी पिछले महीने ही बारा पॉवर प्लांट में कार्यरत एक वेल्डर के घायल हो जाने के बाद काफी हंगामा मचा था. वेल्डर लाल बहादुर सिंह, निवासी ग्राम मड़हान, जिला जौनपुर, जो कि बॉयलर सेक्शन में था अपने ऊपर लोहे की रॉड गिर जाने के कारण गंभीर रूप से घायल हो गया जिसकी इलाहाबाद में इलाज़ के दौरान मौत हो गयी. मौत के बाद उपजे हंगामे के चलते 10 लाख रूपए मुआवजा राशि दिए जाने के आश्वसन के बाद आक्रोशित मजदूर शांत हुए.
ये खेदजनक है कि भूमि अधिग्रहण की मार झेलते, प्रोजेक्ट से उपजे पर्यावरण में व्याप्त प्रदुषण सहते किसान जो इतना कुछ सह रहे है उन्हें आये दिन कोई ना कोई विपदा कंपनी के गैर जिम्मेदाराना हरकतों की वजह से झेलनी पड़ रही है. कुछ सूत्रों ने जो कंपनी का पक्ष लेने की कोशिश में लगे है ये बताया कि किसान जिसने आत्महत्या की है उसने ढेढ़ साल पहले ही प्लांट में काम करना बंद कर दिया था.
ये अक्सर देखा जाता है कि बड़ी बड़ी कंपनिया मजदूरो से जुड़े अहम् मसलो को लेकर बहुत उदासीन और गैर जिम्मेदार रहते है. सबसे ज्यादा आश्चर्यचकित करता है कोई घटना घट जाने के बाद इनके द्वारा लिए जाने वाला रुख. ज्यादातर मामलो में कंपनी के लोग मामले में लीपापोती करके मामले को ठन्डे बस्ते में डाल देते है. मुझे इस तरह के हादसों से जुड़ा एक उल्लेखनीय मामला याद आता है जो अम्बिका नाम के महिला कर्मचारी के दुखद मृत्यु से सम्बंधित है. ये महिला कर्मचारी नोकिया टेलिकॉम स्पेशल जोन ( SEZ ) श्री पेराम्बदुर, जिला कांचीपुरम, तमिलनाडू, में कार्यरत थी. इसकी दर्दनाक मृत्यु पैनल लोडिंग मशीन में हुए एक हादसे में हो गयी. कहा जाता है काम की अधिकता की वजह से इसे इस सेक्शन में जबरन काम करना पड़ा जिसके बारे में इसे अधिक टेक्निकल जानकारी नहीं थी और ये हादसा घट गया.
बारा पॉवर प्रोजेक्ट से जुड़े कंपनी के अधिकारी इस मामले में क्या रुख अपनाते है ये तो वक्त ही बताएगा लेकिन फिलहाल अभी तो किसानो में भारी आक्रोश व्याप्त है घटना को लेकर और घटना के बाद प्रशासन और कंपनी के भ्रामक और गैर जिम्मेदार रुख के कारण. उम्मीद है इस मजदूर के साथ न्याय होगा.
( With Inputs From Sri Rajendra Mishra, Senior Journalist, Kashivarta, Chunar, Mirzapur )
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[ I am really thankful to Mr. Rajendra Mishra, senior journalist, Kashivarta, published from Varanasi, for giving me a chance to work on story pertaining to suicide of worker at power plant run by Jaypee Group. Mr Mishra is also a well known human rights activist. Initially I was reluctant to work on it since writing news reports is not my strength and they are also not my on par with my taste which likes to deal more with features and columns. Today I was informed that news report written by me has found place on a very prominent website of India, “संघर्ष संवाद”, which deals with cause of workers. Feel glad about it. Efforts did not go in vain!!! ]
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References:
Death Of Another Worker At Bara Power Project
Death of Ambika: Kafila Publication
Pics Credit:
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