In The City Of Oranges To Save The Men ( Photo Story)
I came to visit Nagpur to attend 5th National Men’s Rights Conference which was organized by Save India Family Foundation ( SIFF) from August 16 to August 18, 2013. Nearly one year back I was in the same city for various other reasons. However, last time I failed to capture the various moods of this city, but I was luckier this time when I used the camera to capture some beautiful images. Although the cause for which I was in the city did not grant me much room to venture outside into the jungles, or, for that matter, move in the heart of the city that frequently. Anyway, thanks to my destiny, some images of which I can be really proud of came my way.

The stoppage of Super-fast trains never allows one to alight on minor stations..When train stopped on this station for few seconds, I got off to have this image 🙂

The Rail Tracks Take Many Such Beautiful Turns On This Rail Route…It Was A Tough Task To Capture This Image Since The Train Was Moving At Great Speed And It Was Proving To Be Touch Task To Hold The Camera…
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The Men’s Conference Venue Was Located At Pench Tiger Reserve, 100 KM away from Nagpur..The way to it passed through woods …Lovely sight….

Rudyard Kipling’s Mowgli Must Have Used This Lovely Muddy Path To Trace His Other Friends In The Jungle 😛 😛

I Stood On This Machaan To Have In My Sight Tiger Tiger Burning Bright…I Am Sure My Presence Terrified Him 😛 😛 😛

My Friend Anand Prakash…He Runs A Pulse Mill There..He Is Not Camera Friendly..It Took Me Some To Convince Him To Have This Image 😛 😛 😛

Met My Journalist Friend Anjeev Pandey..Had Some Great Time Together..He Is A Nice Soul..Informed and Quite Sensitive Person…Enjoyed His Hospitality That Included Tasty Lunch…Despite Being Busy In Writing Of Book He Came To Find Moments For Me..Thanks Anjeevji 🙂 🙂 🙂

At Anjeev Pandey’s Home I Met This Extremely Talented Sound Recordist Sri Daamu Raoji..Anjeev Pandeyji Is Currently Involved In Writing A Book On Him..This Extremely Talented Person Came To Handle Sound Arrangements At All Major Events In Nagpur Since 1950! Above all, I Noticed That He Was Man Of Humility..Glad To Have Met Him….
समाज की दशा और दिशा तब सुधरेगी जब पुरुषो का उत्पीडन बंद होगा, पुरुष विरोधी कानूनों का खात्मा होगा!!
नागपुर में पिछले महीने पुरुष अधिकारों के प्रति समर्पित सेव इंडिया फॅमिली फाउंडेशन (SIFF) ने अपने पांचवे राष्ट्रीय सम्मलेन का भव्य और सफल आयोजन किया। मुख्य समारोह जो तीन दिनों का था, १६ अगस्त से लेकर १८ अगस्त तक, का आयोजन नागपुर से १०० किलोमीटर दूर पेंच टाइगर रिज़र्व के शांत और रमणीक स्थल पर हुआ. पेंच के जंगल नोबेल पुरस्कार विजेता रुडयार्ड किपलिंग से सम्बन्ध रखता है जहा पे उन्होंने मशहूर किरदार मोगली को जन्म दिया। बहरहाल इसी जगह पे तीन दिनों तक वैचारिक कसरत में सलंग्न रहना एक संवेदनशील मुद्दे पर एक सुखद और यादगार अनुभव रहा. ये कहने में कोई सकोच नहीं कि पुरुष अधिकारों के प्रति अभी भी बहुत बड़ा वर्ग उदासीन है लिहाज़ा ऐसे आयोजन समय की मांग बन गए है जो इस मुद्दे पे देश और देश के बाहर एक उपयुक्त भूमि का निर्माण कर सके.
इस सम्मलेन का आयोजन राजेश वखारिया और नागपुर की SIFF टीम ने नागपुर में अन्य महत्तवपूर्ण संस्थाओ के साथ मिलकर किया जिनमे रविन्द्र दरक का योगदान सराहनीय था. इस राष्ट्रीय सम्मलेन में SIFF की देश भर में फैली शाखाओ ने शिरकत की जिसमे बेंगालूरू , पुणे, मुंबई, लखनऊ, कन्याकुमारी, चेन्नई, इलाहबाद, हैदराबाद, नई दिल्ली और अन्य जगहों से आये सत्रह राज्यों के कुल १५० से अधिक् जुझारु कार्यकर्ताओ ने अपनी सहभागिता दर्ज करायी जिन्होंने देश भर में फैले 40,000 एक्टिविस्ट्स का प्रतिनिधित्व किया। इसके साथ ही कुछ प्रसिद्ध विदेशी संस्थाओ जिसमे मैरिटल जस्टिस, यूनाइटेड किंगडम और इन्साफ, यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका, प्रमुख थे ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। उल्लेखनीय बात ये रही कि जर्मनी, जापान, ऑस्ट्रेलिया, रूस, सिंगापुर और मिडिल ईस्ट से भी एक्टिविस्टस का आगमन हुआ.
समारोह में मैंने एक लेखक/ब्लॉगर की हैसियत से अपनी सहभागिता दर्ज कराई। चूंकि पुरुष अधिकारों में बहुत पहले से विचार विमर्श में सलंग्न रहा हूँ जो मेरे कई लेखो में उभर कर सामने आये है लिहाज़ा इस समारोह के जरिये मुझे कई और पहलुओ को बारीकी से समझने का अवसर प्राप्त हुआ.यद्धपि इस सम्मलेन में हुई चर्चाओ का फलक, विषय विन्दु कुछ सीमित सा रह गया, कुछ जरूरी सन्दर्भ जो परिवार के विघटन के प्रमुख कारण होते है जैसे उपभोक्तावाद, सांस्कृतिक हमले, इन पर कोई ख़ास चर्चा नहीं हुई और इसके अलावा संचालन में प्रक्रियागत ख़ामिया भी रह गयी लेकिन इसके बावजूद कई मुद्दों पर सार्थक चर्चा हुई. डॉ पोनप्पा, जो कि मैसूर से पधारे सर्जन थें, ने सही व्यक्त किया कि जिन मुद्दों को हम लेकर चल रहे है वे एक गहन गंभीरता की मांग करते है जो अगर इस तरह के समरॊह में भी अगर न दिखे तो तकलीफ होती है.
ये सर्वविदित है कि IPC 498a, डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट जैसे घातक कानूनो ने समाज की कमर तोड़कर रख दी है. इनका जिस तरह से व्यापक दुरुपयोग हुआ है उसको सुप्रीम कोर्ट ने कानूनी आतंकवाद की संज्ञा दी है. ये बेहद अफ़सोसजनक है कि कांग्रेस अपने वोट बैंक के चलते इस स्थिति में कोई सुधार नहीं कर पा रही. उलटे महिलाओ का वोट पक्का करने के लिए हिंदी विवाह अधिनियम (संशोधन) बिल, २०१०, पारित करा रही है जिसके पास हो जाने के बाद पुरुषो को आपसी सहमती से हासिल तलाक के उपरान्त अपनी गाढ़ी कमाई से अर्जित संपत्ति से हाथ धोना पड़ेगा। इस लाचार और पंगु सरकार के पास अपने अस्तित्व को बचाने के लिए सिवाय इस तरह के आत्मघाती कदमो के अलावा कोई और कदम नहीं सुझाई पड़ता है. सरकार में बैठे शामिल मंत्री और महत्त्वपूर्ण संस्थाओ को चला रहे अफसर शायद रेत में शुतुरमुर्ग की तरह सर गाड कर बैठे है कि उनको ये सरकारी आंकड़े जो कि ये दर्शाते है 242 पुरुष और 129 स्त्री हर दिन आत्महत्या करते है ( NCRB) की नाजुकता और गंभीरता समझ में नहीं आती है. इसको और बारीकी से देखे तो 71 प्रतिशत के लगभग शादी शुदा पुरुष आत्महत्या करते है तो लगभग 67 प्रतिशत शादी शुदा महिलाये आत्महत्या करती है.
कितने अफ़सोस की बात है कि जहा महिलाओ का पक्ष सुनने के लिए कई संस्थान है वही पुरुष को सड़ने गड़ने को छोड़ दिया जाता है उसको अपनी तमाम समस्याओ के साथ. खैर आधुनिक सभ्यता अपने उस मकाम पर आ गयी है जब पुरुषो का हर तरीके से शोषण बंद हो चाहे वो किसी भी रूप में हूँ और किसी स्तर पर हो. उनके योगदान का सही रूप से मूल्यांकन हो. लेकिन तमाशा देखिये कि कांग्रेस सरकार ना केवल परिवार संस्था को तहस नहस करने में लगी है बल्कि कानूनी आतंकवाद के जरिये पुरुषो को लाचार और अक्षम बनाने पर तुली है. आखिर हिन्दू विवाह अधिनियम (संशोधन) बिल, २०१०, जैसे अपूर्ण और भ्रामक कानून को बनाने का उद्देश्य क्या है जो संविधान के कई मूल पहलुओं की उपेक्षा करता है? जेंडर इक्वलिटी के दायरे में में क्या पुरुषो को आपत्ति करने का कोई अधिकार नहीं है? फिर ऐसा कानून लाने की क्या जरूरत है जो सिर्फ हिन्दू संपत्ति के बटवारे की बात करता हूँ? ऐसा ही संशोधन मुस्लिम पर्सनल कानून पर क्यों नहीं लागू होता? कितने खेद की बात है कि कांग्रेस की अक्षम सरकार ने विवाह नाम की संस्था की धज्जिया उड़ा दी पर हिन्दू खामोश है और नर के भेस में नारी समान पुरुष खामोश है.
इसलिए नागपुर में आयोजित राष्ट्रीय सम्मलेन ख़ासा महत्व रखता है. ये एहसास दिलाता है कि इस तरह के आयोजन अनिवार्य हो गए है सरकार को शीशा दिखाने के लिए और समाज में एक सार्थक बदलाव लाने के लिये. इस सम्मलेन में कुछ महत्त्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किये गए जिनमे प्रमुख है पुरुषो के लिए अलग मंत्रालय बनाने के लिए ताकि उनके समस्याओ पर बेहतर चिंतन हो सके; पुरुषो की जिंदगी को खतरनाक धंधो में भागिरदारी कम की जाए; वैवाहिक कानून जो कि आज समानता के कानून की अवहेलना करते है उनको “जेंडर इक्वल” बनाया जाए कानून की चौखट में; पिता को भी समान रूप से शेयर्ड पेरेंटिंग के भावना के अंतर्गत बच्चो को पालन पोषण करने की छूट दी जाए तलाक मंजूर होने के उपरान्त ताकि बच्चो को माता पिता का सामान रूप से सरंक्षण प्राप्त हो. इसके अलावा इस बात पे भी बल दिया गया कि पुरुषो की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं का निराकरण करने की एक सार्थक पहल हो सरकार और समाज दोनों द्वारा।
सम्मलेन का समापन हिन्दू विवाह अधिनियम (संशोधन) बिल, २०१० को तुरंत वापस मांग लेने के साथ हुआ. सम्मलेन में बहुत से लोगो को पुरुषो के अधिकार के प्रति चेतना जगाने लिए सम्मानित भी किया गया जिसमे इस लेख के लेखक हिस्से में भी ये सम्मान आया, जिनका इलाहाबाद में इलाहाबाद हाई कोर्ट के वकीलों ने एक समारोह आयोजित कर इस उपलब्धि के लिए सम्मानित किया। बहुत जरूरी है ऐसे सम्मलेन, इस तरह के सम्मान समाज का अस्तित्व बचाने के लिए और इस बात को बल देने के लिए कि पुरुष भी स्त्री की तरह समाज की एक प्रमुख इकाई है. SIFF और इससे जुड़े लोग बधाई के पात्र है इस तरह के क्रांतिकारी पहल के लिए. उम्मीद है इस तरह के संस्थान समय के साथ नयी ऊंचाई को प्राप्त कर समाज को नयी दशा और दिशा देने में निश्चित रूप से कामयाव होंगे।
References:
The Times Of India
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फोटो जो हमने और अन्य साथी मित्रो ने खींची सम्मलेन की, और कुछ फोटो फुरसत के पलो की!!!

स्वरुप सरकार से तो काफी मुलाकाते हुए थी आभासी जगत में लेकिन यथार्थ के धरातल पर मिलन रोचक रहा. जिस अंदाज़ में ये बोलते है फेमिनिस्ट ब्रिगेड को कुछ ऐसे ही एग्रेसिव हथौड़ो की जरूरत थी 😛

मेरे संवेदनशील मित्र जोयंतो जो अपने इलाहाबाद के होते हुए भी नागपुर में पहले पहल मिले 🙂 बीच में शायद राजेश वखारिया जी ही जैसा कोई शख्स दिख रहा है 🙂 बगल में हम है और उसके बाद शम्मी जी है जिनसे सम्मलेन समाप्ति पर कार में काफी रोचक बाते हुई!

विराग से मिलकर काफी प्रसन्नता हुई और उसकी एक वजह ये थी कि हम इन्टरनेट पर अक्सर बातचीत करते रहते है..और ये सिलसिला काफी पुराना है

स्वर्णकार जी जो शायद विलासपुर से पधारे थें मेरे कमरे में ही रुके थे। अध्यात्म और अधिकारों का गठजोड़ बहुत हुआ फुरसत के क्षणों में इनके साथ

राजेश जी मिलना होगा सोचा ना था। बहुत पुराने साथी है मेरे। खैर दिल्ली और इलाहाबाद के वकील मिले तो आपस में 🙂

गोकुल से मेरी पहली मुलाक़ात वर्षो पहले हुई थी इन्टरनेट पे अपने ही किसी पोस्ट पर चर्चा के दौरान। और मिलना सालो बाद नागपुर में हुआ

अनाडी” जी जो लखनऊ से पधारे ने जो “चाय” पिलाई कि उसकी मिठास अभी भी बनी हुई है. इन्होने ये तो साबित ही कर दिया कि हास्य और व्यंग्य वो विधा है कि जिसकी मार बहुत गहरी होती है

पांडुरंग कट्टी से मै पहले कभी नहीं मिला था सो मिलना मन में जगह कर गया. आप जैसे और लोगो की जरुरत है जो देश में बेहतर सोच को जन्म दे सके

अमर्त्य का लगाव देखकर प्रसन्नता हुई. अमर्त्य में अच्छा ये लगा कि कम से कम कुछ लोग तो पढने में यकीन रखते है गहरे में जाकर। दीपिका जी का योगदान इस मामले में महत्त्वपूर्ण है कि डाक्यूमेंट्री विधा को एक ऐसे मुद्दे में इस्तेमाल कर रही है जिसको वाकई विस्तार की जरूरत है. बहरहाल दोनों लोगो से मिलकर ख़ुशी हुई.

प्रकाश ने जो सहूलियत प्रदान की सम्मलेन में और सम्मलेन के खत्म होने के बाद बारिश में भीगते हुए कुछ दूर तक छोड़ना याद आता है. पहले भी नागपुर आया था तो तब भी मिलना इनसे अच्छा लगा था. प्रकाश में सम्मलेन मेंकोई पेपर तो नहीं पढ़ा लेकिन अगर ये कुछ कहते तो उसको सुनना दिलचस्प रहता।
Fighting For The Rights Of Men Can Also Bring Honours!
A High Court lawyer Arvind Kumar Pandey was felicitated by a section of lawyers for receiving an award at fifth National Men’s Rights Conference held in Nagpur recently, for outstanding contribution in championing the cause of men in national and International arena, during a programme organized at Indian Coffee House on Saturday.
Addressing the lawyers, Arvind Kumar Pandey said, “Biased criminal laws have spoiled the lives of many men charged under the Dowry Act. The laws like Domestic Violence Act, IPC 498 a, and Maintenance Act, to name a few are heavily tilted in favour of women and have done more harm than producing good effects.”
The Men’s Rights National conference, held at Pench Tiger Reserve in Nagpur was attended by more than 150 men’s rights activists, who represented 40,000 activists spread across India and other parts of the globe.
This year’s national conference was held under the aegis of Nagpur Chapter of Save Indian Family Foundation (SIFF), now being run by Rajesh Vakharia. Few prominent International Men’s Rights Associations like Marital Justice from United Kingdom and INSAAF from USA besides Men’s Rights activists from Germany, Singapore, Japan, Australia, South Africa, Middle East, Japan and Russia also attended the conference.
Informing about the resolutions passed at fifth Men’s Rights conference Arvind Kumar Pandey, who attended the conference as a writer and blogger said, “The first resolution was aimed at formation of Men’s Welfare Ministry while the next resolution aimed at reducing the number of men involved in hazardous professions and another important resolution dealt with creation of gender-neutral treatment in legal aspects. Recognition of the rights of fathers, making shared parenting necessary in wake of separation was another major demand made on the occasion. The activists were unanimous in rejecting the highly biased Marriage Law Amendment Bill, 2010, and demanded its roll back. Lastly, the need to make huge investment in areas of Men’s health was deeply felt.”
The felicitation ceremony at Coffee House, Allahabad, was attended by advocates including Neeraj Shukla, Sampanna Kumar Srivastava, Ashish Nigam, Satyadhar Dubey, Arvind Kushwaha, Pintu Jaiswal, Shubhranshu Pandey, Arun Prakash Srivastava, Mohit Kesarwani and few others.

A section of lawyers belonging to Allahabad High Court, Allahabad, Felicitating Me At Historic Indian Coffee House in Allahabad…
Some More Pics From The Felicitation Held In Allahabad On August 27, 2013.
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The Entrance Of Historic Indian Coffee House In Allahabad. It’s Associated With Leading Writers/Intellectuals Since 1950…
References:
This news item also got published in these two newspapers:
P.S. : Advocate Altaf Ahamad, practicing at District Court, Allahabad, also attended the felicitation ceremony held at Coffee House, Allahabad on August 27. His name failed to find mention in the news reports. I regret the error.
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