क्या यही प्यार है?
प्रेम के शुद्ध स्वरूप को आज के युग में वर्णन करना या उसकी तलाश करना बेमानी सा लगता है। प्रेम कहानियो के नाम पर आज हम को दिल दहला देने वाली दास्ताने मिलती है। जहा प्रेम अपने अगले चरण तक पहुचता है मसलन शादी तक वहा भी वो यथार्थ के कडुवे सागर में विलीन हो जाता है। प्रेम या तो रुपहले परदे पे भला लगता है या तो मुंगेरीलाल की तरह मन के लैंडस्केप पर हसींन लगता है। इसके परे प्रेम एक वीभत्स अफ़साना सा है। जहा तथाकथित प्रेम मिला वहा भी तमाशा हुआ और जहा नहीं मिला वहा भी जिंदगानिया बर्बाद हुई। बहुत साल पहले मुंबई स्टेशन पर एक लड़की को ट्रैन से उतरते ही उसके प्रेमी ने चाक़ू घोप कर हत्या कर दी। इधर बीच कई खतरनाक ट्रेंड उभरे है प्रेमिका को सबक सिखाने के और उनमे से एक है तेज़ाब फ़ेंक देने का। पता नहीं प्रेम का ये कौन सा सिद्धांत है कि प्रेमिका को प्रेम के नाम पे दिल दहला देने वाले तरीको से प्रताड़ित किया जाए !!
भारतीय सरकार ने एक कठोर कदम उठाते हुए इंडियन पेनल कोड में 326 A & 326 B दो नए प्रावधानों को जोड़ा जिसके तहत १० साल या उससे ऊपर तक के सजा की व्यवस्था है। ऐसे हादसों के शिकार लोगो को दो लाख रुपये तक के मुआवज़े का प्रावधान किया जो कि अपर्याप्त सा लगता है। ऐसी घटनाएं ना किसी वर्ग विशेष तक सीमित है और ना ही ये किसी एक देश का मामला है। पाकिस्तान में एक संभ्रांत वर्ग (एलीट क्लास) से ताल्लुक रखने वाली एक महिला को उसके राजनीतिज्ञ पति ने तेज़ाब से इसलिए जला दिया क्योकि उसने तलाक माँगने की जुर्रत की। अब एक ही तरीका बचता है और वो है कि इनसे जुड़े कानूनों का सख्ती से पालन किया जाए, मुआवज़े की राशि बढ़ाई जाए और उसे पेंशन के समान किया जाए ताकि मेडिकल खर्च आसानी से वहन हो सके और ऐसे हादसों के शिकार लोगो को एक बेहतर स्पेस मिले जीवन जीने के लिए।
ये एक मार्मिक कविता पढ़ने को मिली जो पर्याप्त है ये बताने को कि ऐसे हादसों के शिकार लोगो पर क्या गुजरती है ! ये कविता मुझे सोशल मीडिया पे पहले पहल धीरेन्द्र पाण्डेय के मार्फ़त पढ़ने को मिली लेकिन यही कविता एसिड हमलो के प्रति जागरूकता प्रदान करने हेतु बनायी गयी फेसबुक पेज पर भी प्रमुखता से पढ़ने को मिली।
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चलो, फेंक दिया
सो फेंक दिया….
अब कसूर भी बता दो मेरा
तुम्हारा इजहार था
मेरा इन्कार था
बस इतनी सी बात पर
फूंक दिया तुमने
चेहरा मेरा….
गलती शायद मेरी थी
प्यार तुम्हारा देख न सकी
इतना पाक प्यार था
कि उसको मैं समझ ना सकी….
अब अपनी गलती मानती हूँ
क्या अब तुम … अपनाओगे मुझको?
क्या अब अपना … बनाओगे मुझको?
क्या अब … सहलाओगे मेरे चहरे को?
जिन पर अब फफोले हैं
मेरी आंखों में आंखें डालकर देखोगे?
जो अब अन्दर धस चुकी हैं
जिनकी पलकें सारी जल चुकी हैं
चलाओगे अपनी उंगलियाँ मेरे गालों पर?
जिन पर पड़े छालों से अब पानी निकलता है
हाँ, शायद तुम कर लोगे….
तुम्हारा प्यार तो सच्चा है ना?
अच्छा! एक बात तो बताओ
ये ख्याल ‘तेजाब’ का कहाँ से आया?
क्या किसी ने तुम्हें बताया?
या जेहन में तुम्हारे खुद ही आया?
अब कैसा महसूस करते हो तुम मुझे जलाकर?
गौरान्वित..???
या पहले से ज्यादा
और भी मर्दाना…???
तुम्हें पता है
सिर्फ मेरा चेहरा जला है
जिस्म अभी पूरा बाकी है
एक सलाह दूँ!
एक तेजाब का तालाब बनवाओ
फिर इसमें मुझसे छलाँग लगवाओ
जब पूरी जल जाऊँगी मैं
फिर शायद तुम्हारा प्यार मुझमें
और गहरा और सच्चा होगा….
एक दुआ है….
अगले जन्म में
मैं तुम्हारी बेटी बनूँ
और मुझे तुम जैसा
आशिक फिर मिले
शायद तुम फिर समझ पाओगे
तुम्हारी इस हरकत से
मुझे और मेरे परिवार को
कितना दर्द सहना पड़ा है।
तुमने मेरा पूरा जीवन
बर्बाद कर दिया है।
Source Attributed To Poem: The Facebook Page Named “Stop Acid Attacks” Informs That This Poem Is Outburst Of Girl Who Became Victim Of Acid Attack!
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Reference:
Law Commission India On Acid Attacks
Laws Related To Acid Attack In India
Pics Credit:
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