कही न कही तेरे मेरे बीच
में एक पुल है
जिस पर से गुज़र कर मै
अक्सर पहुच जाता हूँ तुम तक
हां वो पुल दिखता नहीं है
इस यथार्थ से भरी दुनियाँ में
ठीक ही तो है कि दिखता नहीं
या फिर मैंने ठीक ही तो किया
जब मैंने इसे सच्ची दुनिया में
दोष बाधा से बंधी नज़रो से उलझती
हर इस तरह के तिकड़मो से ऊपर रखा
और नहीं बनाया सबको दिखने वाला पुल
वो एक पुल
जिस पर से गुज़र कर मै
अक्सर पहुच जाता हूँ तुम तक
बनता या बनाता इसे दुनियाँ में
तो निश्चित था कि वो ढह जाता
छल कपट से भरी हर निगाहो से
निकलती हर एक उतरन सें
और मिट जाता वो एक सहारा भी
जो अभी मेरे जीने की एक वजह है
वो एक पुल
जिस पर से गुज़र कर मै
यथार्थ के बीच से होता हुआ
अक्सर पहुच जाता हूँ तुम तक
हर रोज, हर एक गुजरते लम्हे में!
उस दुनियाँ में जहा कोई नही होता
सिवाय तेरे और मेरे अस्तित्व के.
For Non-Hindi Readers:
English Version Of The Same Poem
Pics Credit:
Author’s words for those who responded to this poem:
Urmila Harit, Former Student Of Indian Institute of Mass Communication (IIMC), New Delhi:
अपनी भावनाओ को कविता के माध्यम से अभिव्यक्त करना आसान नहीं होता। आपने पसंद किया तो लग रहा है कि कविताओ से भी नाता जोड़ा जा सकता है.
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Dharmendra Sharmaji, United Arab Emirates:
हरे कृष्णा। उम्मीद है आप कुशल मंगल होगे। बहुत दिनों के बाद आप का आगमन मेरे किसी पोस्ट पे हुआ. कविताये लिखना बहुत सुखद अनुभूति देता है पर सहज भाव से लिखना बहुत कठिन है. तभी इतने अंतराल पर लिखा। वैसे ये कविता बहुत लोगो को अच्छी लगी. मुझे भी अच्छी लगी तभी इसका अंग्रेजी संस्करण भी पहले पोस्ट कर दिया था.
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Mithilesh Mishra, Indian Society of Journalists and Authors, New Delhi:
कविताओ से मेरा नाता पुराना है लेकिन समाचारो की दुनिया में रमे रहने के कारण थोडा कविताओ से रिश्ता कमजोर हो गया था. लिखकर और अब आप लोगो की उपस्थिति से बहुत ख़ुशी महसूस हो रही है.
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Anjeev Pandey, Writer/Journalist, Nagpur, Maharashtra:
कविताये सबसे प्रिय होती है किसी भी रचनाकार के लिए लेकिन इनको साधना कठिन है. जिस तरह से आप जैसे सुलझे लोगो की प्रतिक्रिया मिल रही है अच्छा लग रहा है कविता की शरण में वापस जाना।
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Ravi Hooda, Canada:
कविताये भावनाओ को अभिव्यक्त करने का सबसे प्राचीन माध्यम है लेकिन भावो को कविता के माध्यम से सुंदर तरीके से पिरोना बहुत दुष्कर कार्य है. अच्छा लग रहा है कि बहुत सुलझे हुए लोगो ने मेरे इस प्रयास को सराहा है. पहले पहल सिर्फ कविताये और कथाये ही लिखता था लेकिन बीच में छोड़ दिया था.
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Prakhar Pandey, Poet, Gwalior, Madhya Pradesh:
आप तो खुद बहुत ही अच्छी कविताये लिखते है. आपकी उपस्थिति से लग रहा है कि कविता का प्रकटीकरण करके मैंने कुछ गलत नहीं किया।
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Nikhil Garg, Noida, Uttar Pradesh:
निखिल पहले पहल जब लखनऊ में लिखना शुरू किया था तो सिर्फ कविताएं और कथाये ही लिखता था जो सब कई जगह छपी तो लोगो ने बहुत सराहा लेकिन बाद में खबरो की दुनिया में आने के बाद लिखना बंद कर दिया क्योकि सतही रूप से मै जल्दी में कविताये-कहानी लिखने के खिलाफ हूँ. अब यही कविता देखो लगभग एक साल के अंतराल पर लिखी है. और सबसे अच्छा ये लगा कि स्थापित कवियो/लेखको/पत्रकारो ने इसे बहुत पसंद किया है.
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Mohammed Shahab, Ernakulam, Kerala:
कवितायेँ और कथाएं ये दोनों विधा मुझे बहुत पसंद है….
बहुत धन्यवाद इन पाठको को जिन्होंने बहुत जल्द ही इस कविता को पढ़ लिया 🙂
Rekha Pandey, Mumbai,: Manjoy Laxmi, Nagpur, Maharashtra; Nita Pandey, Chennai,Tamil Nadu; Kripashamker Pandey, Mumbai; Himanshu B.Pandey, Siwan, Bihar; Ashvini Kumar, Allahabad, Uttar Pradesh; Sumit Naithani, Noida, Uttar Pradesh; Swami Prabhu Chaitanya, Patna, Bihar; Hindustaan M. Pandey, Mumbai; and Ravindra Tripathi, Mirzapur, Uttar Pradesh.
Mra Jyoti, Lucknow, Uttar Pradesh, said:
बेहतरीन 🙂
Author’s Response:
कविताएं पढ़ने में अच्छी लगती है पर इन्हे सरल और सहज रूप से लिखना अति कठिन होता है. पर अच्छा लग रहा कि इसे बहुत से लोगो ने पसंद किया। वैसे कल आपको दीपिका के उनके फ़िल्म के प्रोमो में देखा और आज आपका कमेंट पढ़ने को मिल रहा है.
Sucheta Singhal, USA, said:
बहुत सुंदर लगी आपकी हिंदी कविता 🙂
Author’s Response:
ये अच्छा लग रहा है कि बहुत सुलझे हुए आप जैसे अक्सर खामोश रहने वालो ने इस बार बहुत संख्या में आकर इस कविता को सराहा है. सोचता हूँ कि कुछ और लिखूं लेकिन कविताएं या कथाये सिर्फ आपके सोच लेने से थोड़ी ना उभरती है!!
Very admirable. Great talent.
Thanks my dear friend..When I began writing I had a deep fascination for penning poems and short stories..In fact, I wrote as many as twenty five poems and few short stories..Some of them got published in mainstream publications and were well appreciated. I have a wish to get them published as an anthology from a well known publication..I am sure in near future, via the will of Lord, it would get published soon..Right now I do not write poems and short stories..These should come spontaneously and straight from the heart..Being deeply involved in world of news I feel I would not be able to do justice with presentation of these two forms of writing..And if I write them in haste I am sure they would be tainted by superficiality-something which I hate..And, therefore, poems and short stories have become few and far between from my side (I mean I write them less frequently now) in recent years..
Anyway, thanks a lot for your kind words, which I wish should appear more often 🙂
Dharmendra Sharma, United Arab Emirates, said:
हरे कृष्ण ! अच्छा लिखा है ।
Author’s Response:
धन्यवाद जी। अभी तो एक व्यंग्य लिखने की सोच रहा हूँ. देखते है बन पड़ता है कि नहीं।
Anupam Verma, Mumbai, Maharashtra, said:
सुंदर रचना है…..
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Author’s Response:
अगर आप जैसे वैचारिकता से संपन्न व्यक्ति ये कहता है कि ये सुंदर रचना है तो निश्चित ही ये सच होगा। धन्यवाद अनुपम जी इसे पढ़ने के लिए 🙂