गुजरात की बात होती है तो 2002 के दंगो का जिक्र अवश्य होता है। खासकर अगर सेक्युलर मीडिया गुजरात के बारे में कुछ कह रहा हो तो। जब भी मै सेक्युलर मीडिया द्वारा प्रायोजित इन चर्चाओ को सुनता हूँ तो इस उम्मीद में कि कभी इन सेक्युलर प्रवक्ताओ की आत्मा जागेगी और ये सच बोलेंगे। लेकिन ये लकीर के फकीर जड़ मानसिकता से लैस लोग सिवाय झूठ और अर्धसत्य के कुछ नहीं बताते। असल में इनका अस्तित्व ही झूठ की बुनियाद पे खड़ा है सो सच बोलना इनके लिए आत्मघाती सरीखा सा कदम हो जाता है। इसलिए 24 प्रतिशत हिन्दू जो मारे गए इन दंगो में इनके बारे में जिक्र करना ये कभी जरूरी नहीं समझते।
यहाँ पे मै कुछ बाते रख रहा हूँ जो मेरी बात बिलकुल नहीं है। ये बाते किसी चर्चा में मीनाक्षी लेखी ने रखी, जो भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता है। मुझे उनकी बाते सारगर्भित लगी। कम शब्दों में उन्होंने सेक्युलर झूठ को तार तार करने की एक सफल कोशिश की है। मै उनकी बातो को ठीक वैसा ही रख रहा हूँ जैसा कि उन्होंने चर्चा में व्यक्त किया। इसके लिए मै आभारी हूँ अपने सोशल मीडिया के मित्रो का जिन्होंने मुझे इन तथ्यों से परिचित कराने में मदद की।
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1. एक अंसारी नाम का मुस्लिम युवक जो पुलिस के सामने हाथ जोड़ रहा था,उसकी हाथ जोड़ते हुए की फोटो को मीडिया वालो ने ऐसे प्रसारित किया जैसे वो पुलिस से अपनी जान बख्श देने की भीख मांग रहा हो जबकि वो युवक अपनी जान बचाने के लिए पुलिस का हाथ जोड़ कर धन्यवाद कर रहा था.
2. गोधरा में ट्रेन में आग लगाने वाले कांग्रेस के मुस्लिम कार्यकर्ता थे पर मैं उनको मुस्लिम कम और कांग्रेसी कार्यकर्ता ज्यादा मानती हूँ.
3. जिस तीस्ता सीतलवाड़ को लेकर आप मीडिया वाले मोदी जी पे कीचड़ उछालते हैं उसने गुलबर्ग सोसायटी से खूब माल बनाया है और इस बात को लेकर उसके ऊपर हाईकोर्ट में केस चल रहा है ये बात आप मीडिया वाले क्यों नही बताते हैं?
4. भारत में अब तक जितने भी दंगे हुए हैं और दंगो के बाद सरकारों ने जो भी कदम उठाये हैं और गुजरात के दंगो के बाद मोदी जी ने जो कदम उठाये उनकी तुलना आप अपने मापदंडो पे करके देश को सच बताये की किस सरकार ने दंगों से निबटने के लिए सबसे ज्यादा प्रभावशाली कदम उठाये थे?
5. 1969 के गुजरात दंगो; 1984 के सिख दंगो; 1986, 1992 के मुंबई दंगो; मुरादाबाद के दंगो; बिहार के दंगो; गोपालगड, राजस्थान में हुए दंगो और अभी असम में हुए दंगो के लिए कौन सी पार्टी जिमेदार है?
साभार: मीनाक्षी लेखी, राष्ट्रीय प्रवक्ता, भारतीय जनता पार्टी।
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और क्या सेक्युलर मीडिया ने अंसारी के बारे में इस खबर को भी उजागर किया? और अगर नहीं किया तो क्यों नहीं किया?
“अंसारी का कहना है कि लोग अपने फायदे के लिए मेरे फोटो का उपयोग करते हैं। दंगों के कई साल बाद भी मुझे चैन नहीं है। लोगों ने मेरी शांति को नष्ट कर दिया है। मैंने जिंदगी में आगे बढ़ने की कोशिश की लेकिन कहीं न कहीं, कोई न कोई मेरा फोटो दिखाकर मुझे फिर पीछे मुड़कर देखने के लिए मजबूर करता है।अंसारी ने खुद को कलंक के रूप में पेश करने को लेकर फिल्म निर्माताओं को कानूनी नोटिस भी भेजा है। 38 साल के अंसारी खुद की तस्वीर को बार बार दिखाने से तंग आ चुका है। उसका कहना है कि मुझे दया के पात्र के रूप में दिखाया जाता है। मैं अपनी प्लास्टिक सर्जरी करवाना चाहता हूं ताकि लोग मुझे नहीं पहचान सके।”
साभार: That’s Me
Author’s Words For Shreesh Pathak, Jawahar Lal Nehru University, New Delhi:
धन्यवाद …श्रीश ये लेख उन लोगो के लिए है जो सब कुछ जानते सिवाय सच के 😛
Arvind Bhai Media kA Kya kahe,ye Har ek cheez ko tod marod ke pesh karte hai,Apni TRP Badhane ke chakkar me Tathyon ko tod marod ke pesh karte hai aur sach to Janta ke samne aata hi nahii…..Jo zero hote hai unko hero Bana dete hai ye Media wale aur jo Vastav me Hero hote hai Gumnami Ki Zindgi jee rahe hote hai.
@ Sudhir…
इसीलिए ये जरूरी हो जाता है कि सोशल मीडिया अपना काम कायदे से करे .केवल सोशल मीडिया ही मेनस्ट्रीम मीडिया की धूर्तता को उधेड़ सकती है सही तथ्यों की प्रस्तुति की साथ ….सोशल मीडिया .उन्ही को हीरो बनाये जो वाकई में हीरो है ….जीरो को हीरो बनाने की जरुरत नहीं
Thanks to these conscious readers as well…
Yogesh Pandey, Lucknow, Uttar Pradesh; Yadavharikrishna Harikrishnaji, Lucknow,Uttar Pradesh; Ankit Soni; PRamitSharma; Hitesh Arora, Faridabad, Haryana; Manoj Pandey; Rakesh Pandey, Bhopal, Madhya Pradesh; Rekha Pandey, Mumbai, Maharashtra; Pravin Tiwari, Allahabad, Uttar Pradesh; Anil Kumar Sharma; Ramesh Lachhani; Ashvini Kumar,Allahabad, Uttar Pradesh; Vinayak Sharma, Mandi, Himachal Pradesh; Ravi Hooda, Canada; Sudhir Dwivedi, New Delhi and Ajay Tyagi, Noida, Uttar Pradesh.
Shreesh K. Pathak, Jawahar Lal University, New Delhi, said:
मै तो इस विषय पर इतने तरह के पक्ष-विपक्ष सुन चूका हूँ कि कोई एक राय बनानी ही मुश्किल है…राजनीति में सबके अपने हित तो होते ही हैं…कौन सही और कौन गलत…खैर..! मोदी एक कुशल प्रशासक हैं, उन्होंने फ़िलहाल गुजरात में उल्लेखनीय कार्य किया है, इसे ही रेखांकित किया जाना चाहिए इस विकल्पहीनता के दौर में….!
Author’s Response:
सही बात है ..कुछ विषयो पर एक राय रखना संभव नहीं होता …लेकिन ये कवायद फिर भी कमजोर नहीं पड़नी चाहिए कि सही तथ्य सामने आये …जो सच है उसे सामने आना ही चाहिए ….इसके लिए जो भी संभव हो वो करना चाहिए …रहा सवाल मोदी का …आज के भ्रष्ट युग में अगर कोई अच्छा कर रहा है तो उसका समर्थन करना ही चाहिए …मै मोदी का अँध भक्त नहीं लेकिन उनके अच्छे कदमो की उपेक्षा करना मै उचित नहीं समझता। लिहाजा इस दृष्टिकोण मै उनका समर्थन करता हूँ।
Author’s words for Manoj Joshi, Bhartiya Janta Party, Rajasthan:
मनोज जोशी….ji…
आपके हितो से जुड़ा ये एक महत्त्वपूर्ण आलेख था… अच्छा लगा कि आपने इस लेख पर दृष्टि डाली … एक आग्रह आपसे ये है कि अपने राजनैतिक सर्किल में लेख को यथासंभव शेयर जरूर कर दिया करे ताकि सन्देश सही लोगो के बीच तक अधिक से अधिक रूप में पहुच सके … इन सब बातो को सही लोगो के बीच रखने से ही बदलाव आयेंगे …