
“तुमने जिस ख़ून को मक़्तल में दबाना चाहा आज वह कूचा-ओ-बाज़ार में आ निकला है कहीं शोला, कहीं नारा, कहीं पत्थर बनकर”
सरबजीत की मौत बेहद दुखद खबर है। ये अलग बात है कि मुझे आश्चर्य नहीं हुआ। ये मौत सम्भावित थी। ये एक तयशुदा मौत थी। पकिस्तान जैसे कानून विहीन और अराजकता के शिखर पर स्थित देश के लिए किसी की मौत क्या मायने रख सकती है! वो तो केवल ओसामा बिन लादेन को शरण दे सकती है फूलप्रूफ। दाऊद इब्राहिम और अजहर महमूद को ही बेहतर पनाह दे सकती है। सरबजीत की हिफाज़त करके उसे क्या मिलता? लिहाजा सरबजीत का मरना तय था। कसाब और अफज़ल गुरु के फांसी लग जाने के बाद अन्दर ही अन्दर सुलगते पाकिस्तान के लिए सरबजीत से बेहतर बलि का बकरा तो कोई हो ही नहीं सकता था। सरबजीत की मौत तो उसी वक्त तय हो गयी थी जब पाकिस्तान समर्थित दो आतंकवादी कसाब और अफज़ल गुरु फांसी पे लटका दिए गए।
ये शान्ति वार्ता की नौटंकी, सरबजीत को माफ़ी देने की नौटंकी, उसका बेहतर इलाज़ कराने की नौटंकी ये सब आवरण उस कुटिलता को छुपाने के लिए था जिसकी झलक हर नज़र रखने वाले को साफ़ साफ़ दिख रही थी। सिर्फ ना देख पाने का भ्रम भारत की सरकार कर रही थी। खैर सरबजीत की मौत से एक बात तो साफ़ हुई। दो राष्ट्रों की राजनीति में मोहरे बनते है आम आदमी। जब मै राष्ट्र शब्द का इस्तेमाल कर रहा हो तो इसका मतलब ये नहीं है कि पाकिस्तान को मै एक राष्ट्र के रूप में देख रहा हूँ। ये एक राष्ट्र नहीं है। शैतानी लोगो का हुजूम है। शैतानी लोगो का भीड़ तंत्र है जहा पे राष्ट्रपति कोर्ट से भागकर नज़रबंद हो जाता है। खैर मै बता रहा था कि दो राष्ट्रों की दुश्मनी का शिकार सबसे कमज़ोर और मासूम लोग होते है।
कोई बताये सरबजीत का गुनाह क्या था कि पहले तो सोलह साल जेल में काटे बिना किसी गुनाह के और फिर इस तरह बर्बर मौत? उसकी मौत का जिम्मेदार कौन सा राष्ट्र ज्यादा है? रीढविहीन नेताओ के जरिए शान्ति की बात करता भारत या गुनाहों को साए में पलता पाकिस्तान? खैर एक बात तो समझ में आई की जेल में कैदियों को न्याय पाने की आशा से नहीं रखा जाता है बल्कि अक्सर सरकार की आँख की किरकरी बन चुके लोगो को चुपके से खत्म कर देने के लिए रखा जाता है। चूकि मौत पाकिस्तान में एक भारतीय की हुई है लिहाज़ा मानवाधिकार की वकालत करने वालो का ना भौकना लाजमी हो जाता है। ये तब भौकते है अगर भूले से कोई जम्मू कश्मीर में कोई भारतीय सैनिक के हाथो मारा जाता है। इनकी मुखरता तब देखते बनती है।
सरबजीत की आत्मा को शान्ति मिले। मेरी तरफ से यही विनम्र श्रद्धांजलि है सरकारी नौटंकी के इस दौर में। सबसे दुखद यही है कि मरते सिर्फ मासूम आदमी ही है। बिलखते है शोक संतप्त परिजन ही है। मुल्क के नेता तो हर अवसर को कैश कर लेते है। दुःख हो या सुख हर रास्ता सत्ता की तरफ ही मुड़ जाता है।
” तुमने जिस ख़ून को मक़्तल में दबाना चाहा
आज वह कूचा-ओ-बाज़ार में आ निकला है
कहीं शोला, कहीं नारा, कहीं पत्थर बनकर
ख़ून चलता है तो रूकता नहीं संगीनों से
सर उठाता है तो दबता नहीं आईनों से
जिस्म की मौत कोई मौत नहीं होती है
जिस्म मिट जाने से इन्सान नहीं मर जाते
धड़कनें रूकने से अरमान नहीं मर जाते
साँस थम जाने से ऐलान नहीं मर जाते
होंठ जम जाने से फ़रमान नहीं मर जाते
जिस्म की मौत कोई मौत नहीं होती “
*साहिर लुधियानवी*
कुछ शब्द उन पाठको के लिए जिन्होंने इस पोस्ट पर आने की जहमत की ….
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Subhash Goyal Nimawali, Sri Ganganagar, Rajasthan;
आप समझ सकते है असल कारण!!
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Arjun Singh Dangi Thakur, Mungaoli, Madhya Pradesh:
कमजोर ही निशाना बनते है ..
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Kumar Vidrohi, New Delhi:
मौत पर भी तमाशे होते है
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Rajiv Ranjan, Maharashtra:
तो एक और जान पालिटिक्स की भेंट चढ़ गयी ..
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Thakur Sunil Singh Tanwar, Jamanagar, Gujarat:
एक निर्दोष की मौत पे होती राजनीति ….
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Ajay Tyagiji, Noida, Uttar Pradesh:
😦
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Sunil Anuragi:
ये आम लोग लाश बन जाने के लिए ही पैदा होते है…
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Anand Prakash, Nagpur, Maharashtra:
बस इसी पंक्तियों का स्मरण करके अभी भी खामोश हूँ लाशो पर भी होती राजनीति देखकर
जिस्म की मौत कोई मौत नहीं होती है
जिस्म मिट जाने से इन्सान नहीं मर जाते
धड़कनें रूकने से अरमान नहीं मर जाते
साँस थम जाने से ऐलान नहीं मर जाते
होंठ जम जाने से फ़रमान नहीं मर जाते
जिस्म की मौत कोई मौत नहीं होती “
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Urmila Haritjji, New Delhi {Indian Institute of Mass Communication (IIMC)}
अरे देखी जमाने की यारी ….
बिछुड़े सभी बारी बारी ….
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Deepak Sarinji:
एक आम आदमी की मौत कोई मौत नहीं होती …और अगर मौत कहलाने योग्य हो भी जाए तो वो भी एक तमाशे में तब्दील हो जाती है …
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भागीरथी कुमारji, Patna, Bihar:
सरबजीत मरते नहीं है ..
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Dharmendra Sharmaji, UAE:
याद तो आ ही गया कि रूह को मौत आती नहीं …..
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Amrendra Kushwaha/ Hitesh Arora…
धन्यवाद सन्देश को बहरे कानो के भीतर डालने के लिए ….
Ravi Hoodaji, Canada:
Arvind ji Bakra humesha nirdosh hi hota hai……paapi to Bali dene wale hotey hein…..Chahey wajah koi Bhi ho !
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Author’s Response:
हर बार ऐसा ही क्यों होता है कि एक निर्दोष को लोग बलि का बकरा बना देते है……
Mohan Srivastava ( Poet) said:
Mai aapke vicharo se sahamat hu.kya kiya jaye ye hamari sarkar bas vot bank kahi hamara na bigad jaye bas isi prashna me ulajhi hui hai ,,jisase ek se badhakar ek hadashe ho rahe hai ,lekin sarakar shanti ke bato me hi uljhi hui hai…..
Author’s Response:
Behad dukhad…
Aseem Raj Srivastava, New Delhi, said:
Ji sahi kaha aapne………
Author’s Response:
निर्दोष की कुर्बानी क्या रंग लाती है ….यही देखना है ….
Shubhranshu Pandey’ Butul’, Advocate, Allahabad High Court, Allahabad, Uttar Pradesh, said:
ये बस चुनाव की तैयारी है. पाकिस्तान में सरबजीत को मार कर अपने आप् को काफ़िर कम करने वाला बताना है और भारत में सरकार को एक उम्मीदवार मिल गया…बुरा लग रहा है…लेकिन ये सच होगा….
Author’s Response:
मुल्क के नेता तो हर अवसर को कैश कर लेते है। दुःख हो या सुख हर रास्ता सत्ता की तरफ ही मुड़ जाता है।
( repeating words from the post)
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एक बात कही नोट करके रख ले, सरबजीत की बहन दलबीर इस बार कांग्रेस के टिकट पर पंजाब से लोकसभा का चुनाव लड़ेगी…क्योकि आज जिस तरह से राहुल गांधी और दलबीर की आपस में लिपटी हुई और रोती हुई फोटो अखबारों में छपी है…उससे तो ऐसे ही संकेत मिल रहे है…वहां पाकिस्तान में अगर ज़रदारी इस बार सरबजीत की हत्या को इलेक्शन में भुनाएंगे…तो यहाँ कांग्रेस सरबजीत की शहादत को वाया दलबीर भुनाएगी…भाजपा एक बार इस मसले पर पीछे रह गयी…मरने वाला मासूम तो मर गया, लेकिन दोनों मुल्को में उसकी लाश पर रोटियां सेकने वाले अभी अपना काम कर रहे हैं
– By Zafar Irshad.
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आज हमें एक नहीं अनेक दलबीर कौर ( सरबजीत सिंह की बहन ) की आवश्यकता हे
ग्रामीण परिवेश में पली साधारण सी दलबीर कौर ने अपने भाई सरबजीत सिंह के लिए जो कुछ भी किया, वह एक इतिहास बन चुका हे l पाकिस्तान को उसके घर में चुनोती दी , भारत के विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की नींद हराम कर दी , दोनों देशों की सरकारों को अकेले ही कठघरे में खड़ा कर दिया l अभी साहस नहीं छोड़ा . [पाक की जेलों में अभी भी बंद भारतीयों के लिए लड़ने को प्रस्तुत हे}
दूसरी और हम लोग हें , हमारे ख्याति प्राप्त नेता हें , अनेक संगठन हें, चन्दे की रसीदें हें , इन सब के होने पर भी हम और हमारे नेता एक साध्वी जिस के शरीर को तोड़ दिया गया हे , बचने की आशा तक नहीं रही, एक अच्छी चिकित्सा से वंचित हें l कभी में मरने का समाचार आ सकता हे l लेकिन हम दलबीर कौर की तुलना में कुछ भी नही हे l शर्म आ रही हे अपने आप पर।।।।।।।।।।।।।।।।।।
_ By Om Parkash Trehan-Savarkar, New Delhi.
Swati Kurundwadkar said:
Aaj nahin Toh kal yeh hona hi tha.
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Author’s Response:
Ek Katu satya.
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Sandeep Pandey said:
Bhagwaan hamaari taraf se unke pariwaar ko ye dukh sahne ki shakti pradaan kare.
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Rajiv Ranjan said:
After 2-3 days we will forget and again after few days somebody else will die! Indian government has no time for its people! I have never seen such a poor captain having such a bad team. Its alarming time… Time to take corrective action….
Chandrapal S Bhasker, United Kingdom, said:
Killing men is and always have been a commendable act in one or other side of the fence. Men’s lives have been always disposable, not only that men are encouraged to klll themselves or kill other men – it’s called honour, bravey.
Author’s Response:
That’s why I always sing : Ye duniya agar mil bhi jaaye to kya hai!!!!
Chandrapal S Bhasker, United Kingodm, said:
Dost, we gotta to take this world and change it for men….
Author’s Response:
Relax…That would never stop…A fight for change shall never cease…
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Chandrapal S Bhasker said:
Always relaxed whilst unceasingly fighting for pro-male change 🙂
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Thanks to these people also:
Sandeep Pandey, Gorakhpur, Uttar Pradesh; Rekha Pandey, Mumbai, Maharashtra; Rajbirji, Advocate, Supreme Court of India, New Delhi; Himanshu B. Pandey, Siwan, Bihar; Kusum Kesar, Jammu & Kashmir and Ajay Tyagi, Noida, Uttar Pradesh.
Nirbhay Mathur:
“सरबजीत की मौत तो उसी वक्त तय हो गयी थी जब पाकिस्तान समर्थित दो आतंकवादी कसाब और अफज़ल गुरु फांसी पे लटका दिए गए।”
Not agreed on it.
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Author’s Response:
चलिए मतभेद से मुझे कोई आपत्ति नहीं!!