बसंत ऋतू का आगमन हो चुका है। बहकना स्वाभाविक है। गाँव में तो फगुआ की बयार बहती है। ग्लोबल संस्कृति से सजी संवरी शहरी सभ्यता में क्या होलियाना रंग, क्या दीपावली के दियो की ल़ौ की चमक। दोनों पे कृत्रिमता की चादर चढ़ चुकी है। या तो समय का रोना है या फिर महँगाई का हवाला या फिर जैसे तैसे निपटा कर फिर से घरेलु कार्यो/आफिस के कामकाज में जुट जाने की धुन। त्यौहार कब आते है कब चले जाते है पता भी नहीं चलता। ये बड़ी बिडम्बना है कि त्यौहार सब के लिए दौड़ती भागती जिंदगी में टीवी सीरियल में आने वाले दो मिनट के ब्रेक जैसे हो गए है। सब के लिए त्यौहार के मायने ही बदल गए है। अलग अलग उम्र के वर्गों के लिए त्यौहार का मतलब जुदा जुदा सा है। और मतलब अलग भले ही होता हो लेकिन उद्देश्य त्यौहार के रंग में रंगने का नहीं वरन जीवन से कुछ पल फुरसत के चुरा लेने का होता है।
इन सब से परे मुझे याद आते है कई मधुर होली के रंग। वो लखनऊ की पहली होली जिसमे कमीने तिवारी ने मेरी मासुमियत का नाजायज़ फायदा उठाते हुए और लखनऊ की तहजीब की चिंदी चिंदी करते हुए मुझे रंग भरे टैंक में धक्का देकर गिरा दिया था। बहुत देर के बाद एक गीत उस तिवारी के लायक बजा है हर दोस्त कमीना होता है। तिवारी का नाम इस लिस्ट में पहले है। ये इतना मनहूस रहा है शनिचर की तरह कि हर अनुभव इसके साथ बुरा ही रहा है। बताइए बैंक के कैम्पस के अन्दर छुट्टी वाले दिन बैंक की चारदीवारी फांद कर हर्बेरिअम फाइल के लिए फूल तोड़ने का आईडिया ऐसे शैतानी दिमाग के आलावा कहा उपज सकती थी। गार्ड धर लेता तो निश्चित ही बैंक लूटने का आरोप लग जाता। वो तो कहिये हम लोग फूल-पत्तियों सहित इतनी तेज़ी से उड़न छू हुएं कि इतनी तेज़ी से प्रेतात्माएं भी न प्रकट होके गायब होती होंगी। गाँव की होली याद आती है जिसमे गुलाल तो कम उड़ रहे थें गीली माटी ज्यादा उड़ रही थी। पानी के गुब्बारों से निशाना साधना याद आता है। सुबह से सिर्फ पानी की बाल्टी और गुब्बारा लेकर तैयार रहते थें। याद आते है वार्निश पुते चेहरे, बिना भांग के गोले के ही बहकते मित्र, गुजिया पे पैनी नज़र। ये सब बहुत याद आता है। अपने मन को धन्यवाद देता हूँ कि मष्तिष्क का अन्दर इन यादो के रंग अभी भी ताज़े है।
स्मृतियाँ तकलीफ भी देती है और आनंद भी। इन्ही स्मृतियों में भींगकर पाठको को होली से जुड़े कुछ विशुद्ध शास्त्रीय संगीत पे आधारित ठुमरी/गीत जिनमे अपने प्यारे राधा और कन्हैय्या के होली का वर्णन है को सुनवा रहा हूँ। ये अलग बात है कि मेरे मित्रो के श्रेणी में इन गीतों को सुनने के संस्कार अभी ना जगे हो लेकिन इन्हें स्थापित उस्तादों ने इतना डूब कर गाया है कि अन्दर रस की धार फूट पड़ती है। कुछ एक गीत चलचित्र से भी है, अन्य भाषा के भी है भोजपुरी सहित। इन्हें जैसे तैसे आप सुन लें अगर एक बार भी तो मुझे यकीन है कि संवेदनशील ह्रदय इनसे आसानी से तादात्म्य कर लेंगे हमेशा के लिए। और इसके बाद भी यदि शुष्क ह्रदय रस में ना भीग सके तो उनके लिए जगजीत सिंह का भंगड़ा आधारित गीत भी है। सुने जरूर। ह्रदय हर्ष के हिलोरों से हिल जाएगा।
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1. रंग डारूंगी, डारूंगी, रंग डारूंगी नन्द के लालन पे (पंडित छन्नूलाल मिश्र)
पंडितजी को सुनने का मतलब है आत्मा में आनंद के सागर को न्योता देने का सरीखा सा है। बनारस की शान पंडितजी से आप चाहे ठुमरी गवा लीजिये, कजरी गवा लीजिये, या ख्याल वो सीधे आपके रूह पे काबिज हो जाता है। ये किसी परिचय के मोहताज़ नहीं और ईश्वर की कृपा रही है कि प्रयाग की भूमि पर इनको साक्षात सुनने का मौका मिला है। ख़ास बात ये रहती है कि ये गीत के बीच में आपको मधुरतम तरीकें से आपको कुछ न कुछ बताते चलते है। और इस तरीके से बताते है कि आप सुनने को विवश हो जाते है। खैर इस बनारसी अंग में राधा जी ने अच्छी खबर ली है कृष्ण की। मुझे नारी बनाया सो लो अब आप नाचो मेरे संग स्त्री बन के। सुने कृष्ण का स्त्री रूप में अद्भुत रूपांतरण राधाजी के द्वारा होली के अवसर पर।
संध्या मुखर्जी को मैंने पहले नहीं सुना। इस लेख को लिखने के दौरान इनको सुनने का सौभाग्य मिला। बंगाली संगीत में निपुण इस गायिका की आवाज़ मन में घर कर गयी। उस्ताद बड़े ग़ुलाम अली खान की शिष्या बंगाली फिल्मो सहित हिंदी फिल्मो के लिए भी गीत गाये। इस शास्त्रीय गीत को सुनने के बाद आपको राधाजी का किसी बात पे रूठना याद आता है। कोई शिकायत जो अभिव्यक्त होने से रह गयी उसी की खीज इस गीत में प्रकट हो रही है। दर्द है तो प्रकट होगा ही। इसमें कौन से बड़ी बात है लेकिन ये क्या कि आप फगुआ की बयार में बहने से इन्कार कर दे? शिकायत दूर कर के होली जरूर खेले मै तो बस यही कहूँगा।
होली पे मुझे तो वैसे अक्सर ये गीत “होली आई रे कन्हाई” (मदर इंडिया) याद आ जाता है लेकिन ये गीत कम बजता है। बहुत मधुर गीत है। व्ही शांताराम के फिल्मो के ये विशेषता रही है कि भारतीयता के सुंदर पक्षों को उन्होंने बड़े कलात्मक तरीके से उकेरा है हम सभी के चित्तो पर। नवरंग के सभी गीत बेहद सुंदर है जैसे “श्यामल श्यामल वरन” और “आधा है चन्द्रमा रात आधी” लेकिन कृष्ण और राधा के होली प्रसंग पर आधारित गीत कालजयी बन गया। कौन कहता है कि भारतीय स्त्री बोल्ड नहीं रही? देखिये क्या कह रही है राधा इसमें जिसको जीवंत कर दिया संध्या के सधे हुए नृत्य की भाव भंगिमाओ ने। महेंद्र कपूर और आशा भोंसले ने गीत में स्वर दिया है। संगीत सी रामचंद्र का है और गीत हिंदी गीतों को शुद्ध हिंदी के शब्द देने वाले भरत व्यास का लिखा है।
नदिया के पार ने ऐतहासिक सफलता प्राप्त की थी भोजपुरी में होने के बावजूद। रविन्द्र जैन का गीत और संगीत मील का पत्थर बन गया। और यही से भोजपुरी संगीत ने एक नयी उंचाई प्राप्त की लेकिन ये अलग बात है उस मूल तत्त्व से भटक गया जिसके दर्शन इस फिल्मो के गीतों में हुए है। भारतीय फिल्मो में गाँव कभी भी असल तरीके से प्रकट नहीं हुआ। ये कुछ उन विलक्षण फिल्मो में से एक है जिसमे गाँव ने अपनी आत्मा को प्रकट किया है अपने कई मूल तत्वों के साथ।
इस गीत को सिर्फ इसलिए सुनवा रहा हूँ कि इस गीत में मेरे गाँव का स्वरूप बिलकुल यथावत तरीकें से प्रस्तुतीकरण हुआ है। इस में दीखते रास्ते, पगडण्डीयाँ, खेत, नदी बिलकुल अपने गाँव सरीखा है। गीत के बीच में आपको पालकी पे विदा होती दुल्हन भी दिख जायेगी। क्योकि पालकी पे सवार होकर कभी दुल्हन को विदा होते हुए होते देखा था सो इस युग में जहाँ पे सजी धजी कार में दुल्हन को भेज़ने की नौटंकी होती है वहां ये दृश्य आपको बिलकुल भावविभोर कर देता है। खैर गीत सुने जो बहुत मधुर है ऐसा शायद बताने की जरुरत ना पड़े। ये बताने की जरुरत अवश्य पड़ सकती है कि गीत को गाया है हेमलता और जसपाल सिंह नें।
मनोज तिवारी की आवाज में ये भोजपुरी गीत मन को भाता है। ये अलग बात है कि गीत को भोजपुरी गीतों में व्याप्त लटको झटको जैसा ही फिल्माया गया है। वही रंग बिरंगी परिधानों में कूदती फांदती स्त्रिया जो गीत के साथ न्याय नहीं करती प्रतीत होती। फिर भी हरे भरे खेत मन में उमंग को जगह तो दे हे देते है। भाग्यश्री “मैंने प्यार किया” के बाद लगभग गायब ही हो गयी। मैंने प्यार किया जैसी वाहियात फ़िल्म मैंने देखी नहीं सो बता नहीं सकता कि ये टैलेंटेड है कि नहीं लेकिन जहा तक इस गीत की बात है गीत में इनकी उपस्थिति से चार चाँद तो लग ही रहे है लुक्स की वजह सें। खैर इतने दिनों बाद देखना इस एक्ट्रेस को और वो भी एक भोजपुरी गीत में एक सुखद आश्चर्य है।
लारा लप्पा “एक थी लड़की” से बहुत ही सुंदर गीत है। इसी के खोज में ये जगजीत सिंह का ये पंजाबी गीत हाथ लग गया। इसको जगजीत सिंह ने जिस चिरपरिचित दिलकश अंदाज़ में गाया है उतने ही कमाल के तरीकें से इनके साजिंदों ने बजाया है। निश्चित ही सुनने योग्य गीत अगर आप चाहते है कि आप का दिल बल्ले बल्ले करने पे मजबूर हो उठें। वैसे इस गीत के शुरू में मजनू ने अपनी लैला को काली कहने वालो की दृष्टि को गरियाया है सभ्य तर्कों के साथ वो भी सुन लें। हम तो भाई मजनू से बस इतना ही कहेंगे कि जो बकते है उनको बकने दो काहे कि “यथा दृष्टि तथा सृष्टि” ( जैसी हमारी दृष्टि होती है, वैसी ही यह सृष्टि हमें दिखती है)
Chandrapal S Bhasker, United Kingdom, said:
Sometimes I see your article and curse you for making me miss Hindustan so much.
🙂 Holi ki bahut bahut shubh-kamnayein dost….
Author’s Response:
होली के शुभ अवसर पर गाली भी मीठी सी लागे ..जी भर के कोसे पर उसके पहले शुभकामनाएं लेते जाये। वैसे हम भी कुछ मिस करते है आंसू के साए तले अपना बचपन.. अपना गाँव …खेत खलिहान ..बचपन के सखी-सखा ..ये सब !! 😦
Sudhir Dwivediji, New Delhi, said:
वाह वाह पांडेजी ..तो इस बार तिवारी जी आपसे क्या पंगा लेने वाले है 🙂
Author’s Response:
बचपन का दोस्त है ..बहुत प्यारा है :-)..उसको सुलगाते रहना अपना परम धर्म है ..उस एक बन्दे के वजह से पूरी क्लास को सजा होती थी ..अब जितनी चाल्क खीच खीच कर मारी है उसने मुझे सबको मिसाइल बना कर उस तक उन्हें वापस लौटा रहा हूँ 🙂 …वैसे गीत सुने बहुत मस्त कृष्ण आधारित, भोजपुरी गीत भी है, पंजाबी भी है और बंगाली भी ..सुने जरूर ..आनंद की प्राप्ति होगी ..तिवारी की तरह सुलगे नहीं 🙂
Dharmendra Sharma, UAE, said:
Happy Holi….धन्यवाद Arvind K Pandey जी…..
Author’s Response:
कृष्णमय गीत चुन के लाया हूँ।। सुनेंगे तो रस से भीग जायेंगे…:-) …कृष्ण और राधा के प्रेम के रस में भींगे कुछ छींटे आप पर भी पड़े इसी भाव के साथ आपको भी होली पर शुभकामनाये 🙂
Many thanks to these readers for making their presence felt on this post:
Ravi Hooda, Canada; Abhishek Dubey,Jaipur Rajasthan; Sagar Nahar, Hyderabad, Andhra Pradesh; Kamla Shokeen, Canada; Radhakrishna Lambu; P K Surya, New Delhi; Shashikant R. Pandey, Ahmedabad, Gujarat; Ranjini Devkant Pandey,Varanasi,Uttar Pradesh;Swami Prabhu Chaitanya, Patna, Bihar; Garima Sharma, Chandigarh, Punjab; Damaraju Nageswararao Vijayawada, Andhra Pradesh; Himanshu B. Pandey, Siwan, Bihar; and Mridul Gandhi, Kota, Rajasthan…
अमित चतुर्वेदीजी (Personal Concerns) बहुत धन्यवाद अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिये। लेख को पसंद करने के लिए।
I liked all the songs you have posted..Made for a wonderful listening. Thanks!
Sending you one from my side:
इस कर्कश, बेजान सी जिंदगी में होली के परागकण थोड़ी सी मादकता भर दे .बस इसी शुभकामनाओ के साथ होली की शुभकामनाएं एक बार फिर से ..आपको एक गीत सुनवाता हूँ जो बहुत मीठा है लेकिन शायद ही किसी होली पे बजता हो ..बहुत सुंदर गीत है मेलोडी से परिपूर्ण …हो सकता हो मैंने आपको सुनवाया हो …लेकिन ऐसे गीतों को तो बार बार सुना जाए तब भी रहा ना जाए ..जी ललचाये …
Sagar Nahar, Hyderabad, Andhra Pradesh, said:
अद्भुत पोस्ट अरविन्द जी,
बचपन की बहुत सी होलियाँ और उन पर की गई शैतानियां याद दिला गई। और गाने एक से एक सुन्दर। आनन्द आ गया। तन-मन भीग गया।
लीजिये इस अवसर पर मेरी तरफ से भी राग सोहनी में एक सुन्दर बंदिश सुनिए। यह पं गन्धर्व की सुपुत्री/सुशिष्या विदुषी कलापिनी कोमकली जी ने गाया है।
………आपके ब्लॉग में सैटिंग में कुछ गड़बड़ है। कमेंट पोस्ट करने के लिए लोगिन पूछता है। जब कि मेरे वर्ड प्रेस ब्लॉग पर ऐसा नहीं है।
अभी मैने इस कमेंट को आपके ब्लॉग पर पोस्ट करना चाहा था हो ही नहीं रहा, लोगिन करने के बाद भी।
यहाँ (On Shrota Biradari Forum) की टिप्पणियां तो पता नहीं कब तक रहेगी लेकिन ब्लॉग की टिप्पणीया तो हमेशा रहेगी।
Author’s Response:
आपके इस रसमय गीत से भरे टिप्पणी के लिए धन्यवाद ..बहुत कोशिश करता हूँ कि श्रोता बिरादरी या आप जैसे सुधि पाठको के संपर्क में रहूँ लेकिन लेख के बोझ के नीचे तले दबे होने के कारण संभव नहीं हो पाता ..हा जब कभी मौका मिलता है तो इस तरह के पोस्ट के माध्यम से आप लोगो से रूबरू हो लेता हूँ ..या कभी किसी थ्रेड में अवतरित होकर चित्त शुद्धि कर लेता हूँ :-)…और अच्छा लगता है आप लोगो के विचार, गीत सुन कर …ये समस्या लॉगइन वाली इसलिए आती है कि आप अपने वर्डप्रेस ब्लॉग पर लाग इन नहीं है. एक बार जाकर पासवर्ड फिर से डालकर वापस लाग इन कर हमारे पोस्ट पे कमेंट करे .ये समस्या तब आनी नहीं चाहिए …बहुत दिनों से आपने अपने ब्लॉग या तो आप एक्टिव नहीं रहे है इसलिए लाग इन एक्टिव नहीं रहा है.
Lalita Jha, New Delhi, said:
Arvind K Pandeyji..आपको भी फगुआ की शुभकामनाएं ..
Author’s Response:
होली की अग्रिम शुभकामनाओ सहित आपको पोस्ट पे आगमन के लिए धन्यवाद 🙂
Words for Kusum Upadhyaya, Allahabad, Uttar Pradesh:
कुसुम को फाल्गुनी बयार की आंच में सिमटी होली की शुभकामनाएं और इस बात के लिए भी कि पोस्ट पर अवतरण हुआ। पता नहीं संगीत पसंद है कि नहीं लेकिन अगर पसंद है और वक़्त अनुमति देता है तो इस पोस्ट में विशुद्ध शास्त्रीय रंग में रंगे गीत है जिन्हें सुने जरूर।
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@ All The Readers…
That’s the song which I have referred to in my post…Really made for some of my very close friends 😛 😛 😛
Har Ek Friend Kamina Hota Hai 😛 😛 😛
http://www.dhingana.com/har-ek-friend-kamina-hota-hai-song-chashme-baddoor-hindi-latest-358ae71
Shubhranshu Pandey’ Butul, Advocate, Allahabad High Court, Allahabad, Uttar Pradesh, said:
‘ मित्र आपने जिन किस्सों को याद किया है उसके लिये उनका अनुभव होना आवश्यक है. हमारे कई मित्र ऎसे भी मिलते हैं जो इन अनुभव से गुजरे ही नहीं हैं. उनका क्या किया जाये? हर्बेरियम के लिये दिवाल कुदना हो ठीक है यहां तो अमरूद के लिये टार्जन बने फ़िरते थे. जगजीत सिंह की गजल है न…….कडी धूप में अपने घर से निकलना/ वो चिडिया वो बुलबुल वो तितली पकडना…….
इस गम घोटूं मंहगाई ने सारे त्योहारों का रूप ही बदल कर रख दिया है. और कुछ बदल दिया है हमारे अपने रुझान ने, होली हो तो एक विभत्स त्योहार की तरह प्रचारित किया जाता है. सारा दिन गुजर जाता है और होली के दिन अपने आप को साफ़ सुथरा सूखा रखने का भरसक प्रयास किया जाता है, और अगर ऎसा हो जाता है तो सीना फ़ुलाकर इसका प्रचार भी कर लेते हैं, ये नहीं सोचते है कि कितने सामाजिक रुप से कितने छोटे हैं जो एक आदमी भी आपके मन का नहीं मिला हो आपसे रंग भरे हाथों से गला मिल सके. अब होली में जो एक खुला पन था (कपडॊं से नहीं) वो समाप्त हो गया है. लोग मिलने से कतराने लगे हैं एक दूसरे के घर जाने में हेठी समझते हैं, भविष्य में तो होली भी काम से छुट्टी का एक दिन हो जायेगा और लोग पिकनिक मनाने बाहर जायेंगे या वही नेट पर से चैट करते हुये रंग लगायेंगे….
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Author’s Response:
आपने भविष्य और वर्तमान दोनों की सही तस्वीर पेश की है ..दूर जाने की जरूरत नहीं ..अपने ही मोहल्ले में झाँक कर देख लें अजीब सा माहौल है .आज से 17-18 साल पहले लोग आते थें परस्पर होली एक दूसरे के घर होली मिलने जाते थें… ( इलाहाबाद के कॉन्टेक्स्ट में कह रहा हूँ अभी केवल) ..इन्टरनेट तो एक प्रिटेक्स्ट है …ना जाने किस वजह से लोगो में ये दूरी आ गयी है ..ये सामाजिक वैज्ञानिको के अध्ययन का विषय होना चाहिए ..एक वजह शायद ये हो सकती थी कि लोग अक्सर मिलते थे ..आज दूरिया है खिचाव है। सो शायद इस वजह से लोगो में मिलने मिलाने का उत्साह नहीं रहा …लेकिन फिकर नाट आपसे मिलने मिलाने में उत्साह सदा बरकरार रहेगा …अपने पास तो सिर्फ यही एक कला शेष रह गयी है ..खैर अभी तो होली की अग्रिम शुभकामनाएं 🙂
@Freewheeler…
Have my Holi Greetings..Happy to find you dropping by on my post and liking the post..
Swami Prabhu Chaitanya, Patna, Bihar, said:
मित्र को भी फागुनी बयार सी शुभ कामनाएँ
और यह गीत भी
Author’s Response:
शुभकामनाओ के लिए धन्यवाद …अभी तो निंदिया रानी गुहार लगा रही है ..सो अब से कुछ घंटे बाद इस गीत को सुनेंगे 🙂
Author’s Words For Baijnath Pandeyji, Patna, Bihar:
होली की शुभकामनाये अभी से आपको प्रेषित की ..फाल्गुन की मस्ती में चार चाँद लगाता हुआ ये इला अरुण की आवाज़ में गीत सुने …थिरकन से लबरेज़ है ये गीत।।
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और अगर बिहारी स्टाईल में ही होरी भज़ाना चाहते है थोड़ी इस क्षेत्र में व्याप्त शरारती तत्त्वों के साथ तो मनोज तिवारी भैय्या को सुने ..खासकर अगर बहकने को आप उचित मानते है इस बयार में तो। वैसे इस गीत को सुनवाने के पीछे एक कारण ये भी है कि किसी एक विरोधाभास को मनोज तिवारी ने अपने स्टाइल में उघेड़ा जरूर है जिसको सोशल साइंटिस्ट्स चाहे तो फिर कभी गंभीर तत्त्वों के साथ विचार कर सकते है। अभी नहीं काहे कि कम से कम होली पर तो थोडा हमे नान सीरियस रहने दे : P
Author’s Words For Arvind Sharma, Indore, Madhya Pradesh:
होली की भीनी भीनी सी और भीगी भीगी सी शुभकामनाएं ग्रहण करे …और आप जैसे अति सजक और जाग्रत आत्मा के लिए ये बहुत ही अद्भुत होरी गीत बेगम अख्तर की आवाज़ में …
Author’s Words For Sucheta Singhal, New Delhi:
स्मृतियों के दस्तावेज पर अपनी मुहर लगाने के लिए धन्यवाद।। फागुन की सुगंध से आपका जीवन परिपूर्ण रहे ..प्रफ्फुलित रहे …आलोकित रहे ..होली पे एक गीत आपके लिए ढूंढ के लिए लाये है …वैसे है तो ये भजन जिसे लोग अनूप जलोटा की आवाज़ में कई बार सुन चुके है लेकिन आप इसे होली गीत के रूप में सुने तो कुछ हर्ज़ नहीं ..लेकिन इसे इस बार सुधा मल्होत्रा की आवाज़ में सुने ..कम लोगो ने सुना होगा इस आवाज़ में .. यकीन करे बहुत ही आत्मीयता के साथ सधी हुई आवाज़ में गाया है सुधाजी ने। कोई आश्चर्य नहीं क्योकि ये बहुत मीठा गाने वाली पर फिर भी गंभीरता से समझौता ना करने वाली सिद्ध गायिका है। यकीन ना हो तो “दीदी” से ” तुम मुझे भूल भी जाओ ते ये हक है तुमको” सुन कर महसूस कर सकती है जो साहिर का लिखा गीत है। खैर होली के अवसर पर इतना गंभीर, ग़मगीन होने की जरुरत नहीं ..सो उल्लासमय शुभकामनाये ग्रहण करे
श्याम पिया मोरी रंग दे चुनरिया …..
http://google.saregama.com/music/pages/listen_popup?mode=listen_popup&query=INH100702973
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तुम मुझे भूल भी जाओ
http://www.saavn.com/popup/psong-Iv0dmtWY.html
Author’s Words For Saumya Pathakji, Mumbai, Maharashtra:
Saumya Pathakji
होली की शुभकामनाये अभी से…इस “लाइक” के अवतरण के बाद तो थोड़ी के लिए ये एहसासात मै अपने मन में कांफिडेंस के साथ बिखेर सकता हूं कि लेख ठीक ही बन पड़ा वैसे मैंने पहली ही फोटू महिला शशक्तिकरण से सम्बंधित ही लगायी है .और कुछ उस मिजाज़ के गीत भी है…इस चेतना का प्रमाण आप फोटू देख के कर सकती है 🙂
Author’s Words For Shubhra Sharmaji, News Reader at All India Radio (band):
होली की अग्रिम शुभकामनाये आपको ..कोई गीत नहीं सुनवाऊंगा क्योकि रस की अधिकता हो जायेगी कई रस में डूबे हुए गीत पोस्ट में अवतरित हो चुके है इस खातिर …वैसे अच्छा लगा इतने दिनों के बाद आपकी उपस्थिति देखकर.
Anupam Verma, Mumbai, Maharashtra, said:
Aajkal sab jagah bhautikvaad ne le liya hai…bas formality puri krte hai sab….na bade log khud celebrate krte hain …aur na hi apne bachho ko …manane dete hai….kehenge …ye sab chizo pr time waste mat karo ….keval padhai karo…khelna hai to…cricket , teniss etc khelo…..hi fi videshi festival …jaise christmas….new year …manao..lekin bhartiya tayohar..jo logo..evm samaj ko jodne ka kaam krta hai…..use manane se….in kathit padhe likhe …nd media k logo ko…dhan ki barbaadi…aur pradushan nazar aata hai….
Author’s Response:
आपने इस संवेदनशीलता के साथ पोस्ट पर उपस्थिति दर्शायी इसके लिए धन्यवाद …ये आप सही कह रहे कि हमने भेद दृष्टि की वजह से इतनी सारे बेवजह की समस्याये खड़ी कर रखी है कि त्यौहार को ख़ुशी ख़ुशी मनाना सम्पूर्णता के साथ लगभग असंभव सा हो गया है।
Anjeev Pandey, Journalist, Nagpur, Maharashtra, said:
सुनियोजित तरीकें से त्योहारों की वाट लगायी जा रही है।।
Author’s Response:
शायद आपका इशारा सही है …खैर होली की बधाई तो ले ही सकते है 🙂
Gyasu Shaikh said:
Pt.Chunnulal Mishra ko ek hi baar suna hai DD Bharti par jiske prastutkarta the Ustaad Vilayat Khan sahab…Chunnulal ji bahut meetha gaate hain, aur shashtriya gaayki mein siddh hain. unki gaayki mein atmavishwas adbhoot hai…vah samudra se vishaal hain is gaayki mein.ek hi baat unhein suna hai par ve avishmaraniya raheinge dil mein sada. andaaz bhi unke sahaj va manbhavan se hote hain…thanks Arvind Ji…
Author’s Response:
सबसे पहले तो होली की शुभकामनाएं ..चूँकि कालेज के जमाने से ही शास्त्रीय गीत सुनने का चस्का लग गया था इसलिए पंडितजी को बहुत सुना है..अपने संग्रह से एक पुराना एल्बम “Krishna From The Heart Of Benaras” निकाल कर देख रहा हूँ अभी ..कितने मधुर गीत याद आ गए इनके “श्याम बिना चैन ना आये” ,”रोको ना डगर” “झूला धीरे से झुलाओ” …ईश्वर को इस बात के लिए धन्यवाद देता हूँ कि इस विभूति के साक्षात दर्शन हुए।
पर अभी ये सुने …कोई श्याम मनोहर ले लो …
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Gyasu Shaikh said:
Aapko bhi holi ki shubhkamnaein Arvind ji…jaroor dhanyawad kare is vibhuti ka jo is dharti prakatit hue…
Saumya Pathak, Mumbai, said:
धन्यवाद अरविन्द, आपको भी होली की ढेर सारी शुभकामनाये. यह होली आपके जीवन में ढेर सारे रंग बिखेरे ऐसी आशा करती हूँ .
बहुत अच्छे गीतों का चयन किया है आपने, इसमें मेरा पसंदीदा ‘नदिया के पार’ का है.
वैसे राधा-कृष्ण वाली तस्वीर महिलाओं के सशक्तिकरण को ज्यादा पॉजिटिव तरीके से दर्शाती है, अगर मेरी नजर से देखे तो!
महिलाए मर्दों को मारे, मज़ाक में हीं सही लेकिन है तो हिंसा हीं!
Author’s Response:
चलिए हिंसा वाली बात खारिज करने के लिए कोटि कोटि धन्यवाद …गीत-संगीत मेरे रक्त में प्रवाहित होता रहता है सहज रूप से ..गीतों को प्रसंशा के नयन से देखने के लिए धन्यवाद ..उम्मीद है आने वाले कुछ पल रंगों, गुजिया, पापड, चिप्स संग कटेंगे