नरेन्द्र मोदी से ज्यादा सहानभूति नहीं मेरी. ना मै उनका कोई बहुत बड़ा प्रशंसक हूँ क्योकि अतिवादिता या उग्र विचारधारा का समर्थन मै उचित नहीं मानता. ये अलग बात है कि इस आदमी का जिस पैमाने पे और जिस तरीकें सें विरोध होता है उसको देखते और समझते रहना आपको बहुत कुछ सिखा देता है. ये दिखा देता है कि गन्दी राजनीति किसे कहते है. ये सिखा देता है कि किसी के भूत के नुमाइश में किस तरह कुछ संस्थाएं खुद भूत जैसे सलंग्न है. अब ये आदमी कितना भी अच्छा कर जाए कुछ लोग इसको देखते ही “गुजरात के दंगो” नाम के महामंत्र का उच्चारण शुरू कर देते है. खैर इस आदमी कि उपलब्धिया दुर्लभ है क्योकि जब केंद्र से किसी राज्य के आंकड़े छतीस के हो तो उस राज्य का प्रोग्रेस के पैमाने पे सबसे खरा उतरना एक विलक्षण घटना है.
मै इस आदमी को इस मामले में अधिक रेटिंग देता हूँ, सम्मानीय मानता हूँ कि इस देश में भरे भ्रष्ट नेताओ से ये बेहतर है क्योंकि कम से कम ये आदमी अपनी बात डंके के छोट पे खरी खरी कहता है और नितीश कुमार की ही तरह इसकी सोच विकास-उन्मुख है. साफ़ साफ़ दो टूंक बात कहना आसान नहीं होता जब तक आप के अन्दर मनन करने की काबिलियत ना हो. आप विवादास्पद हिन्दू मुस्लिम समीकरण को ही लें. इस देश में आज़ादी के समय से सत्ता पे काबिज़ कांग्रेस के रूख को देखे तो समझ में आएगा कि इस पार्टी ने सेकुलर हितो के रक्षा के नाम पर कितनी घिनौनी राजनीति कि जिसका दुष्परिणाम देश में हुएँ भयानक दंगे है. आप ये विडियो देखे और आपको समझ में आ जायेंगा कि कांग्रेस और नरेन्द्र मोदी में फर्क क्या है. आप के ये समझ में आ जाएगा कि कौन है जो हिन्दू बनाम मुस्लिम बाते करता है घिनौने तरीके से. कुल मिला के प्रोग्रेस का पैमाना क्या हो? ये हो कि कुछ ख़ास नाकाबिल लोगो को उच्च पदो पे बिठा दिया जाए क्योकि वे एक वर्ग विशेष का प्रतिनिधित्व करते है?
https://www.youtube.com/watch?v=-ruZLBeelhs&feature=player_embedded
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अंत में थोडा सा हटके.. फालतू और वाहियात के कार्यो में सलंग्न लोगो को भारत रत्न देने की सिफारिश होती है क्योकि इनसे बहुत से लोगो के राजनैतिक हित सध जाते है. इस गंदे समीकरण में आनंद कुमार जैसे काबिल लोग कभी फिट नहीं बैठते. इसलिए ये उपेक्षित रह जाते है. पर क्या सूर्य को काले बादल कभी हमेशा ढके रह सकता है? कभी नहीं. आनंद कुमार की प्रतिभा मेरा सलाम जिसने उपेक्षित प्रतिभाओ का सही सम्मान किया उन्हें उनकी सही जगह दिला कर.
Thanks Nita Pandeyji, Chennai (Tamil Nadu);Swami Prabhu Chaitanyaji, Patna(Bihar); Poswal Baldev, Melbourne, Victoria (Australia); Pankaj S.Pandey; Chaitanya, Bhopal (Madhya Pradesh); Lalita Jha, New Delhi; Dharmendra Sharma, United Arab Emirates; Ravi Hooda,Toronto, Ontario (Canada); Bimal Mohta,Kolkata (WestBengal); Rakesh Pandey, Bhopal (Madhya Pradesh); Shashikant R Pandey, Ahmedabad (Gujarat);Shikha Shuklaji,Jaipur (Rajasthan); Vipin Gujrati,Jaipur (Rajashthan); Jitendra Mehta, Chittorgarh (Rajasthan); Anupam Verma, New Delhi and Yugal Mehra, New Delhi, for having a look at the article….
Words for my readers:
दो भाषाओ में लिखना सरल नहीं होता है और समय की कमी देखते हुयें सहज कर्म नहीं रह जाता पर विषय की संवेदनशीलता को समझते हुयें ये कोशिश करनी ही पड़ती है कि अगर संभव हो तो बात बहुतो तक पहुचें..सो ये अच्छा लगता है कि कुछ पाठक भी इतने चेतन है कि दोनों संस्करण को बहुत ध्यान से पढ़ते है..ये एक अद्भुत बात है..आप पाठको कि इस रुचि का आभार मानता हूँ..
IITian Shekhar Agrawal, Bangalore( Karnataka) said:
I COULDNT AGREE TO YOU MORE !!!
Author’s Response:
Thanks Shekhar for endorsing the sentiments echoed in the post..
Ashok Kumar Soni, Patna (Bihar), said:
Narendra Modi is brave, firm, vibrant and an excellent adminstrator.Some dubious NGOs and part of paid media is working against him..
Author’s Response:
….And he really means business..He knows what are the elements which are involved in the making of a prosperous society..