ये गीत मुझे बेहद पसंद है इसलिए क्योकि जीवन के इस कटु सच्चाई का उल्लेख हुआ है कि आप के अपने ही कभी सबसे बड़े शत्रु साबित होते है. इनसे लड़ना इसलिए कठिन है क्योकि दुश्मनी का डंक अपनत्व के आवरण में ढका होता है. किसी को बनाने में तो ये काम आते ही है पर किसी को गिराने में यही अपने काम आते है. मीर जाफर सरीखे लोग ना हो तो किसी राष्ट्र को जीतना इतना आसान नहीं!!
खैर इस गीत को बनाने में किशोर, पंचम दा और आनंद बक्षी का अहम रोल है. आर ड़ी बर्मन इस तोहमत को हमेशा झेलते रहे कि पाश्चात्य संगीत को उन्होंने कापी किया. आंधी हो या अमर प्रेम यही कुछ एक दो फिल्मे रही है जिनमे इन्होने शास्त्रीय संगीत पे आधारित अमर गीत दिए और अपने आलाचको को ये अच्छी तरह समझा दिया कि उनकी आलोचना कितनी सतही है.
सयोंग से कल रोमांस की लहर को जन्म देने वाले राजेश खन्ना का जन्मदिन भी था. भारतीय रजत पटल पे प्रकटे इस पहले सुपर स्टार को मेरी तरफ से हार्दिक शुभकामनाएँ. कोई आश्चर्य नहीं कि अपने अभिनय से इन्होने “अमर प्रेम” को अपने कैरियर में एक माईलस्टोन का दर्जा प्रदान किया.
चिंगारी कोई भड़के, तो सावन उसे बुझाये
सावन जो अगन लगाये, उसे कौन बुझाये,
ओ… उसे कौन बुझाये
पतझड़ जो बाग उजाड़े, वो बाग बहार खिलाये
जो बाग बहार में उजड़े, उसे कौन खिलाये
ओ… उसे कौन खिलाये
हमसे मत पूछो कैसे, मंदिर टूटा सपनों का
हमसे मत पूछो कैसे, मंदिर टूटा सपनों का
लोगों की बात नहीं है, ये किस्सा है अपनों का
कोई दुश्मन ठेस लगाये, तो मीत जिया बहलाये
मन मीत जो घाव लगाये, उसे कौन मिटाये
न जाने क्या हो जाता, जाने हम क्या कर जाते
न जाने क्या हो जाता, जाने हम क्या कर जाते
पीते हैं तो ज़िन्दा हैं, न पीते तो मर जाते
दुनिया जो प्यासा रखे, तो मदिरा प्यास बुझाये
मदिरा जो प्यास लगाये, उसे कौन बुझाये
ओ… उसे कौन बुझाये
माना तूफ़ाँ के आगे, नहीं चलता ज़ोर किसीका
माना तूफ़ाँ के आगे, नहीं चलता ज़ोर किसीका
मौजों का दोष नहीं है, ये दोष है और किसी का
मजधार में नैया डोले, तो माझी पार लगाये
माझी जो नाव डुबोये, उसे कौन बचाये
ओ… उसे कौन बचाये
चिंगारी …
Pics Credit:
This is one of my Favorite .Song Arvind K Pandey …Thanks for Share this one on ”Shrota Biraadari”.
संजयजी पोस्ट पे आगमन के लिए धन्यवाद..इस गीत के बोल ही इतने सुंदर और हृदयस्पर्शी है कि सभी संवेदनशील प्राणी के मन में उतर जाता है.. उम्मीद है आपसे लेखन जगत में यूँ ही मुलाक़ात होती रहेगी..
Some notable comments on this post in world of Internet:
My words for Anupam Vermaji:
Thanks Anupam Vermaji..I hope you came to read this very short article that unfolds deceit and treachery on part of near and dear ones..
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My words for a friend gone silent:
देखिये इस गीत वाले लेख ने अपना गुल खिला दिया..एक हमारे मित्र Aweshji ये तोहमत मतलब कोलावेरी डी मेरे ऊपर पेस्ट करके चले गए है कि हम इनको बिगाड़ रहे है और पूछने पे बता नहीं रहे है कि कैसे बिगाड़ रहे है 🙂 देखता हू इस गीत का असर और कितना होता है 🙂
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My words for Tanya Katoch:
अरे यकीन नहीं आता तान्या भी इस गीत वाली पोस्ट को पसंद करके चली गयी..तुम्हारी गंभीरता को नमन!!!
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Dharmendra Sharma said :
Thanks Arvind Ji. “Khuda ke ghar se kucch fariste farar ho gaye, kucch to pakde gaye aur baki hamare yaar ho gaye.
My words for Dharmendraji:
बहुत सुंदर भाव है इस शेर के !!!
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Lastly, Thanks Dharmendra Sharmaji, Anupam Vermaji, Rajesh Kumar Pandeyji, Chandrapal S Bhaskerji, Yugal Mehraji and Dubeyji, to name a few, for registering your presence on it..It makes me really happy when I see such conscious souls on my post and page..
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My words for Baijnath Pandeyji:
बैजनाथजी आजकल तो “भाग भाग ” या “चुटकी जो काटी है” या “छम्मक छल्लो” बजता है पर एक वक्त तो जब गीत हमारी रूह के आस पास से होकर गुजरते थे..
ये एक ऐसा ही गीत है उस दौर का जब संगीत संगीत जैसा होता था..आत्मा को को उसके होने का एहसास कराने वाला..मैंने पहले ही कहा है कि इस गीत में उस दुनिया से मोहभंग का जिक्र है जिसमे कुछ है तो अपनों के बीच चलती शतरंजी चालें..
एक बात जो आगे बढ़ी ..
सुनिए लता/रफ़ी की आवाज़ में एन दत्ता की रचना “ब्लैक कैट” (१९५९) से …गीतकार ..जाँ निसार अख्तरजी है .ये गीत मुझे बहुत पसंद है…
Sanjay Singh Said:
वक़्त बदलता जाता है लोगो की च्वाइस भी बदलती जाती है ,मगर आज भी जब हम घोर निराशा में डूब जाते है तो यही पुराने सदाबहार संगीत जीवन में उम्मीद जगाते है ………..!
My response to Sanjay Singh:
साहब वक्त बदलता है..इस नैसर्गिक प्रक्रिया से मुझे इंकार नहीं पर साहब संगीत के स्तर में इतनी गिरावट को बर्दाश्त करना यकीनन कठिन है.
एन दुत्ता की ही रचना को फिर सुने जो चंद्रकांता (१९५६) से से है..गीतकार इस बार साहिर है… एन दत्ताजी की हाल में हमने पुण्यतिथि मनाई है.. इस गीत में जिस टूटन का जिक्र है वो कितनी गहरे में मन में जा बसता ये तो आप गीत सुनेंगे तभी पता चलेगा..
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Sanjay Singh said:
मै भी आप की बात से सहमत हू …ऐसा नही है की आज अच्छे गीतकार और संगीतकार नही है …आज भी चाहे तो जावेद अख्तर और गुलजार साहेब वही नगमे दे सकते है ..लेकिन वो भी कहानी की डीमांड बताकर अपना पीछा छुड़ा लेते है..
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Arvind K.Pandey:
बिल्कुल सही बात है ..दूसरे आज की युवा पीढ़ी को उन प्रतीकों या शब्दों से तादात्म्य जोड़ने में परेशानी हो सकती है ..
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To listen or read these words of reinforcement of the early cultural mind forming to trigger emotions of feelings of the none logical thing called (love) shows just how easily nature works on the minds of a species that doesn’t have a clue how the species works and the capabilities and boundaries of this primitive animal we humans are
The same humans that find love stories and songs inspiring are the same humans that show the easiest and strongest emotion that humans run on and that emotion is –hate which will destroy anything or one that tries to disagree with their mind formed and nature forced ideas of something not possible –love
Humans have to someday stop the way they see the need to feel the impossible and face the possible scenarios of logic, in-order to heal this species that lives in a selfishly, convenient world of fantasy
If songs are helping to shape a better logic then what’s the problem..Excess of emotions act as obstacle but a balanced approach makes life better for oneself and others…
Anyway, Happy New Year To You And others….
Baijnath Pandey said to me:
Arvind K Pandey जी , नमस्कार एवं नव वर्ष की शुभकामनायें !!!
देर से आने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ । दरअसल, नयी पीढ़ी नैसर्गिक सौंदर्य को भूलती सी प्रतीत हो रही है । इसके लिए स्वयम वे भी ज़िम्मेवार नहीं है । इंसान के सामने जो चीज बार बार परोसी जाती है,कालांतर मे उसे वही अच्छी लगने लगती है । यह बात मैंने बार-बार करैले खाने और अंततः उसे पसंद करने लगने के बाद सीखी । तभी जाकर मै ये भी समझ पाया कि आखिर पश्चिमी संगीत ज़्यादातर शोर होने के बाद भी पश्चिमी लोगों मे इतना प्रसिद्ध क्यूँ है । हम बचपन मे जो सीखते हैं उसी को सच मानकर जिंदगी आरंभ कराते है । हाँ, लोग तो जिंदगी भर सीखते हैं किन्तु वही जो सीखना चाहते है ।
वैसे मुझे भी पुराने गाने बहुत पसंद है …. इन गीतों मे संगीत कि आत्मा बसती है, हरेक अलफाज मायने लिए होता है, हर सुर अपने भीतर एक दुनिया समेटे होती है …. जी करता है बस इन्ही मे डूबा रहूँ …. डूबा हीं रहूँ ….
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My response Addressed To Baijnathji:
सबसे पहले आपको और अन्य को नव वर्ष पर शुभकामनाएं …. उम्मीद है आप गुणी लोगो से संवाद का सिलसिला यूँ ही चलता रहेगा….सही बात बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद…अब जिस चीज़ के संस्कार उसे नहीं मिले वो भला उसकी क़द्र कैसे कर सकता है.. पर चलिए हम जब तक है तब तक तो कुछ काल के लिए अच्छे संगीत को प्रमोट कर सकते है कि नहीं..
तो सुनिए अप्रैल फूल का ये सदाबहार गीत…तुम्हे प्यार करते है करते रहेंगे
Music: Shankar Jaikishen
Lyrics: Shailendra (1964)
http://smashits.com/april-fool/tujhe-pyar-karte-hain/song-71191.html
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Baijnathji further said:
…..कि दिल बन के दिल मे धड़कते रहेंगे ….. बहुत खूब Arvind K Pandey जी ….. तुम अगर साथ देने का वादा करो मै यूं हीं मस्त …….. धन्यवाद आपका
Excerpts from the fascinating conversation on this post at Shrota Biradari:
Harmahendra Huraji said:
N Dutta ji ka yeh geet abhi do din pehle hi pehli baar suna. Na jaane kyon itne madhur geet gumnaam ho jaate hain http://www.youtube.com/watch?v=fSQ__B1jy4Q
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Harmahendra ji also added this song:
मिलाप का दो पहलू वाला गीत ये बहारों का समां तो बेमिसाल है ही , पर यह भी लाजवाब है
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My comment addressed to Harmahendraji:
सबसे पहले आप और अन्य सभी को नव वर्षा की शुभकामनाए ..आप लोगो के संपर्क में आकर एक से बढ़कर एक गाने सुनने को मिल रहे है :-)..N Dutta का संगीत सुनने के बाद ये लगता है कि वो एक प्रतिभाशाली और गुणी संगीतकार थें
ये गीत सुने साधना से ..मुझे बहुत पसंद है: औरत ने जनम दिया मर्दों को
मर्दों ने उसे बाज़ार दिया…
जाहिर है ऐसा क्रान्तिकारी गीत साहिर की कलम से ही निकला होगा !!!
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Gopal Sharma said:
अरविन्द जी , यह गीत जब भी सुनता हू तो बरबस ही बो गर्मियों के दिन याद आ जाते है जब १० बजे मनोहर महाजन जी या दलवीर सिंह परमार जी रेडियो सिलोन से हमेशा जवां गीतों के कार्यक्रम “आप के अनुरोध पर ” में यह गीत अक्स्सर बजाय करते थे ,,,,,,,,, हाय रे वो दिन क्यों न आये रे “””
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My response to Gopalji:
अरे मै तो आपको पुराने युग में ले गया… सच में एक गीत टाइम मशीन सा होता है ..कहा से कहा पंहुचा देता है एक पल में…नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाए 🙂
Prabhu Chaitanyaji said:
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Prabhuji added two more songs:
Firstly he posted this song: Mai Jab bhi akeli hoti hun…Dharmaputra song in Asha’s voice:
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Secondly he added this song:
संभल ऐ दिल तड़पने और तडपाने से क्या होगा ?
जहाँ बसना नहीं मुमकिन वहाँ जाने से क्या होगा ?…
नया साल
2012
मुबारक हो !
नूतन वर्ष अभिनन्दन !!!
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My message for Prabhuji:
इसी “धर्मपुत्र” के गीत को कभी रिकार्ड करवाने के लिए मै बहुत परेशान हुआ था कभी स्टुडेंट लाइफ में :-)..नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाए 🙂
My sincere thanks to Jyoti Mandaviaji, Daanish Bhartiji, Subhash Jung Thapaji, Raju Kumar Rajuji, Romesh Dixitji and Rajputana Ranaji for your appreciation…